जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया के सामने एक नया और गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है. जहां कभी वर्षा होती थी, वहां अब भीषण सूखा पड़ रहा है, और जो क्षेत्र हमेशा सूखे और बंजर माने जाते थे, वहां अप्रत्याशित रूप से मूसलाधार बारिश हो रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सब जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है. ध्रुवों पर स्थित ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. इस बढ़ते जलस्तर ने कई देशों को डूबने के कगार पर ला खड़ा किया है. इन्हीं में से एक छोटा द्वीपीय देश है तुवालु, जो आज अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है.
अभूतपूर्व त्रासदी का सामना कर रहा तुवालु
प्रशांत महासागर के बीचों-बीच बसा छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत द्वीपीय देश तुवालु अब एक अभूतपूर्व त्रासदी का सामना कर रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि इस देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. नीले समुद्र, सफेद रेत और शांत वातावरण के लिए मशहूर तुवालु अब धीरे-धीरे लहरों के नीचे समा रहा है. हालात इतने गंभीर हैं कि अब यहां की पूरी आबादी को अपना पैतृक घर छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में बसना पड़ेगा. यह दुनिया के इतिहास में पहली बार होगा जब एक संपूर्ण राष्ट्र के नागरिक मजबूरी में अपनी जन्मभूमि को अलविदा कहकर किसी और देश में स्थायी रूप से शरण लेंगे.
