चुनावी खर्च उठाने में असमर्थ यूक्रेन, दूसरे देशों से मांग रहा पैसा

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Ukraine Election: यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय युद्ध छिड़ा हुआ है, जिसके चलते यूक्रेन में चुनाव नहीं हुए. दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कार्यकाल साल 2024 में ही खत्म हो गया है. ऐसे में देश में छिड़े युद्ध के चलते मार्शल लॉ के चलते वो राष्ट्रपति के पद पर बने हुए हैं. इस बीच एक ओर जहां अमेरिका शांति प्रस्ताव के जरिए यूक्रेन पर चुनाव कराने का दबाव बना रहा है, वहीं, दूसरी ओर चुनाव को लेकर यूक्रेन ने फंड का मुद्दा उठा दिया है.

दरअसल, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा कि यूक्रेन के पास चुनाव कराने के लिए पैसे नहीं हैं. राष्ट्रपति कार्यालय के सलाहकार मिखाइल पोडोल्याक ने कहा कि यूक्रेन अपने दम पर चुनावों का खर्च उठाने में असमर्थ होगा और इसके लिए उसे अन्य देशों से पैसों की जरूरत पड़ेगी.

यूक्रेन को सता रही बजट की कमी

पोडोल्याक ने अपने एक इंटरव्यू में कहा कि हमें इसका खर्च नहीं उठाना चाहिए. अगर देखा जाए तो हम इसे नहीं उठा सकते क्योंकि हमारे पास बजट कम है. पोडोल्‍याक के अनुसार, यूक्रेन के बजट में अन्य प्राथमिक खर्च हैं, जिनमें सैन्यीकरण भी शामिल है. इसीलिए चुनाव का खर्च उठाना मुश्किल है.

देश में क्यों नहीं हुए चुनाव

बता दें कि जेलेंस्की के राष्ट्रपति पद की अवधि आधिकारिक रूप से 20 मई 2024 को समाप्त हो गई थी, लेकिन अब तक चुनाव नहीं हुए है. चुनाव को लेकर यूक्रेनी सरकार का कहना है कि देश में अब भी मार्शल लॉ लागू होने की वजह से चुनाव कराना संभव नहीं है. जेलेंस्की और अन्य यूक्रेनी अधिकारियों ने बार-बार कहा है कि युद्ध समाप्त होने के बाद और मतदान के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा किया जा सकेगा, तब चुनाव कराए जाएंगे.

चुनाव के लिए US बना रहा दबाव

दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को समाप्‍त करने के लिए प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए यूक्रेन और अमेरिका ने नया 20 प्वाइंट का शांति प्रस्ताव तैयार कर लिया है. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने 23 दिसंबर को पहली बार इस ड्राफ्ट की जानकारी दी. अमेरिका के इन 20 प्वाइंट में चुनाव भी एक अहम प्वाइंट है. जिसमें कहा गया है कि इस शांति प्रस्ताव को साइन करने के बाद यूक्रेन को देश में जल्द से जल्द चुनाव कराने होंगे.

रूस ने यूक्रेनी चुनाव को बना रहा मुद्दा

यूक्रेन में समय से चुनाव न होने को रूस लगातार मुद्दा बना रहा है और जेलेंस्की को अवैध बताता है. इसके साथ ही  उनके चुनावी जनादेश पर सवाल उठाता है. यह नैरेटिव पहले अमेरिकी कैबिनेट अधिकारियों की टिप्पणियों में भी दिखाई दे चुका है. अब ट्रंप जेलेंस्की पर आरोप लगा रहे हैं कि वो चुनाव से बचने के लिए युद्ध का इस्तेमाल कर रहे हैं.

चुनाव में क्या है चुनौती?

बता दें कि जब तक यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू है, तब तक चुनावों के लिए कोई नियामक ढांचा मौजूद नहीं है. जेलेंस्की का कहना है कि वो कानून में बदलाव की मांग करेंगे, लेकिन व्यावहारिक और लॉजिस्टिक चुनौतियां बनी रहेंगी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, 5.9 मिलियन से अधिक शरणार्थी विदेश में हैं और सरकार के अनुसार 4.4 मिलियन लोग देश के अंदर विस्थापित हैं. ऐसे में मतदाता पंजीकरण को अपडेट और वेरिफाई करना एक चुनौतीपूर्ण काम बन जाता है.

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