केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव रविवार को ब्राजील पहुंचे, जहां वह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत की ओर से भाग लेंगे और देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने अपने ब्राजील दौरे की जानकारी देते हुए लिखा, आज ब्रासीलिया, ब्राजील पहुंच गया हूं, जहां मैं कॉप30 प्रेसीडेंसी द्वारा आयोजित प्री कॉप30 सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा.
उन्होंने बताया कि अगले दो दिनों में, यह मंच देशों को कॉप30 की सफलता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने का अवसर प्रदान करेगा। आगे सार्थक चर्चाओं की उम्मीद है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कॉप30 में वह ग्लोबल साउथ की अधिक पूर्वानुमानित जलवायु वित्त की मांग के अलावा अनुकूलन रणनीतियों और वैश्विक कार्बन बाजार की कार्यप्रणाली की आवश्यकता पर भी जोर दे सकते हैं.
गौरतलब है कि भारत लगातार यह दोहराता रहा है कि 2035 तक ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों को सालाना 300 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता नाकाफी है. भारत का कहना है कि विकसित देशों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को उनकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सहयोग करें. ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव कॉप 30 सम्मेलन में भी इस अहम मुद्दे को मजबूती से उठाएंगे.
इससे पहले, वन्यजीव सप्ताह 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह के तहत केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने 6 अक्टूबर, सोमवार को प्रजातियों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन से जुड़ी पांच राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं की शुरुआत की. इन परियोजनाओं में प्रोजेक्ट डॉल्फिन, प्रोजेक्ट स्लॉथ बियर, प्रोजेक्ट घड़ियाल और टाइगर रिजर्व से बाहर रहने वाले बाघों के लिए कार्ययोजना का क्रियान्वयन शामिल है.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र में मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र (सीओई-एचडब्ल्यूसी) की स्थापना हेतु परियोजना का भी शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य मानव-वन्यजीव संघर्षों की नीति, अनुसंधान और क्षेत्र-आधारित शमन में सहायता प्रदान करना है. केंद्रीय मंत्री ने सभी हितधारकों से संरक्षण के लिए साझेदारी को मजबूत करने का आग्रह किया और कहा, वन्यजीव संरक्षण केवल एक कर्तव्य नहीं है, बल्कि प्रकृति और लोगों के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करने की एक साझा जिम्मेदारी है.