US New Bill: यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका में दुनिया भर के कई देशों पर रूस के खिलाफ दबाव बनाने की एक नई रणनीति पर काम चल रहा है. दरअसल अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों में जल्द ही एक ऐसा विधेयक पेश होने वाला है, जिससे ट्रंप को भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देशों पर भारी शुल्क (टैरिफ) लगाने का अधिकार मिल सकता है और ये शुल्क 500% तक हो सकते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रस्तावित बिल के पीछे अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य ब्रायन फिट्जपैट्रिक का नेतृत्व है. दोनों सांसदों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम का मकसद उन देशों को सबक सिखाना है जो रूसी तेल खरीदकर पुतिन की युद्ध मशीन को फंडिंग कर रहे हैं.
रूस पर दबाव बनाने की तैयारी
ग्राहम और फिट्जपैट्रिक के अनुसार, यदि रूस यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए तैयार नहीं होता, तो उस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लागू होंगे. इस दौरान सिर्फ मॉस्को ही नहीं, बल्कि वे देश भी निशाने पर होंगे जो रूस से तेल और गैस खरीद रहे हैं. इन देशों में मुख्य रूप से भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश शामिल हैं. इन देशों पर अमेरिका दंडात्मक टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, जिससे रूस को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सके.
अब रियायत नहीं, ठोस कार्रवाई का समय: ग्राहम
लिंडसे ग्राहम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा अपने एक बयान में कहा कि चीन रियायती दरों पर रूसी तेल खरीद रहा है, जिससे पुतिन को युद्ध जारी रखने की ताकत मिल रही है. अब वक्त है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश ऐसे देशों पर कड़ा आर्थिक दंड लगाएं. यह बिल ट्रंप को सख्त और निर्णायक कार्रवाई करने की पूरी ताकत देगा.
राष्ट्रपति ट्रंप का रुख भी सख्त
वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वे रूस पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं. बशर्ते नाटो के सदस्य देश एकमत होकर कदम उठाएं. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक पत्र में कहा था कि मैं तभी आगे बढ़ूंगा जब सभी नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद कर देंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह सुझाव भी दिया था कि चीन से आने वाले सामानों पर 50% से 100% तक शुल्क तब तक लागू रहना चाहिए जब तक युद्ध समाप्त न हो जाए.
चीन की भूमिका पर बढ़ रही नजरें
ग्राहम के मुताबिक, इस पूरे युद्ध में चीन एक अदृश्य सहयोगी की तरह काम कर रहा है. वह पुतिन से सस्ती दरों पर तेल और गैस लेकर उसे फंडिंग कर रहा है. ऐसे में अब उसे निशाना बनाना जरूरी हो गया है. उन्होंने स्पष्ट रूप में कहा कि यदि पुतिन को जंग से वाकई पीछे हटाना चाहते हैं, तो हमें चीन, भारत और ब्राजील जैसे देशों पर भारी दबाव बनाना होगा.
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