‘मैं हर महीने एक युद्ध रुकवा रहा’, भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम को लेकर Trump का नया दावा

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता कराने की बात फिर से दोहराई. इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई अन्य वैश्विक संघर्षों को सुलझाने में भी मदद की.

Donald Trump ने किसकी की आलोचना

रविवार को ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर अमेरिकी रेडियो होस्ट और लेखक चार्लमैगने था गॉड की आलोचना की. उन्होंने कहा कि लेखक को उनके बारे में और उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके बारे में कुछ भी नहीं पता, जिसमें ‘5 युद्ध’ समाप्त करना भी शामिल है.

भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का लिया श्रेय

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मैंने पांच युद्ध खत्म किए, जिनमें कांगो गणराज्य और रवांडा के बीच 31 साल का खूनी संघर्ष भी शामिल है, जिसमें 70 लाख लोग मारे गए और कोई समाधान नहीं दिख रहा था. इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता, ईरान की परमाणु क्षमता को नष्ट करना, खतरनाक खुली सीमा को बंद करना और सबसे शानदार अर्थव्यवस्था बनाना भी मेरे काम हैं.”

नोबेल शांति पुरस्कार से किया जाना चाहिए सम्मानित

यह ताजा टिप्पणी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के उस बयान के कुछ दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष सहित दुनिया भर में कई संघर्षों को समाप्त किया है और इसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए.

औसतन हर महीने एक शांति समझौता कराया

उन्होंने व्हाइट हाउस प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया, इजरायल और ईरान, रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो के साथ-साथ मिस्र और इथियोपिया के बीच संघर्ष खत्म किए हैं. इसका मतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने छह महीने के कार्यकाल में औसतन हर महीने एक शांति समझौता या संघर्ष विराम कराया है. अब समय आ गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए.”

तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की नीति को भारत स्वीकार नहीं करता

पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में बहस के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी. चर्चा के दौरान जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की नीति को भारत स्वीकार नहीं करता. उन्होंने दोहराया कि कोई भी बातचीत केवल दोनों देशों के बीच होनी चाहिए और यह सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के माध्यम से औपचारिक संवाद पर निर्भर होगी.

विदेश मंत्री ने कहा कि ‘जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया तो कई देशों ने स्थिति को समझने के लिए संपर्क किया. लेकिन, हमने स्पष्ट संदेश दिया कि हम किसी बाहरी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी मुद्दा आपसी बातचीत से सुलझाया जाएगा.

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