Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वैराग्य ही एक ऐसा तत्त्व है जो पदार्थों का सही मूल्यांकन करवाकर उनके सही स्वरूप का दिग्दर्शन कराता है। ऐसे एक्स-रे मशीन शरीर के अंदर के दोष अथवा रोग दर्शाता है, वैसे ही वैराग्य भी ज्ञान चक्षु खोलकर जीवन के सार्थकता और सच्चाई का दर्शन करवाता है। तन की क्षणभंगुरता, भोगों की निस्सारता, राग में रोगों की व्याप्ति,वैराग्य चक्षु से ज्ञात होते हैं। वैराग्य की दृष्टि से तो संसार सेमर के वृक्ष के समान है, जिसके फल अनार की तरह आकर्षक लगते हैं परंतु जिनके अंदर रस न होकर केवल उड़ जाने वाला पदार्थ रूई होता है। तोता जब उसे चोंच मारता है तो कुछ हाथ नहीं लगता।


