भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, FY24-25 में, UPI QR कोड में नाटकीय रूप से 91.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो 657.9 मिलियन तक पहुंच गई. यह तेज वृद्धि उन्हें भारत के डिजिटल भुगतान बुनियादी ढांचे का सबसे तेजी से बढ़ने वाला तत्व बनाती है. यह विस्तार मुख्य रूप से Google Pay, Paytm और PhonePe जैसे प्लेटफार्मों द्वारा व्यापारियों के बीच बढ़ी हुई तैनाती से प्रेरित है. जबकि, यूपीआई आगे बढ़ गया, क्रेडिट कार्ड लेनदेन की वृद्धि काफी धीमी हो गई, साल-दर-साल केवल 7.94% की वृद्धि हुई. डेबिट कार्ड के उपयोग में और भी धीमी वृद्धि देखी गई, जो केवल 2.7% बढ़कर 991 मिलियन हो गई. यह मंदी यूपीआई जैसे अधिक सुविधाजनक और सुलभ डिजिटल भुगतान तरीकों के प्रति उपभोक्ता की पसंद में बदलाव को दर्शाती है.
अप्रैल 2025 में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर बैंकों की संख्या 668 तक पहुंच गई. इस विस्तारित पारिस्थितिकी तंत्र से यूपीआई लेनदेन मूल्यों को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. अकेले मार्च में, यूपीआई लेनदेन रिकॉर्ड 24.77 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में मूल्य में 25% और मात्रा में 36% की वृद्धि है. भारत के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में यूपीआई का दबदबा कायम है. FY 24 में कुल डिजिटल लेनदेन की मात्रा में इसका हिस्सा 79.7% था, जो वित्त वर्ष 23 में 73.4% और वित्त वर्ष 2020 में सिर्फ 36.8% था. प्लेटफ़ॉर्म की वृद्धि बढ़ते विश्वास, उपयोग में आसानी और शहरी और ग्रामीण बाजारों में व्यापक स्वीकार्यता का परिणाम है.
RBI का समर्थन और नीति लचीलापन
आरबीआई ने “हर पेमेंट डिजिटल” जैसे अभियानों के माध्यम से डिजिटल लेनदेन को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है. इसने नीतिगत लचीलापन भी पेश किया है, जिससे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) को व्यक्तिगत व्यापारी भुगतान के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा को संशोधित करने की अनुमति मिलती है, जिससे नियामक सुरक्षा उपायों को बनाए रखते हुए उपयोगकर्ता की सुविधा बढ़ जाती है.