US News: अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में शनिवार को ‘विक्ट्री डे परेड’ होने जा रही है. इस परेड को लेकर देशभर में राजनीतिक सरगर्मी तेज है. एक ओर जहां विक्ट्री डे परेड को अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्मदिन के प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी संगठनों ने इसे ‘शक्ति प्रदर्शन की राजनीति’ बताते हुए जोरदार विरोध की चेतावनी दी है.
पहली बार बड़े स्तर पर होगा सैनिक प्रदर्शन
विक्ट्री डे परेड को अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी सैन्य झांकी के तौर पर देखा जा रहा है. 1991 में गल्फ युद्ध के बाद ऐसा पहली बार है जब इतने बड़े स्तर पर सैनिक प्रदर्शन किया जा रहा है. अनुमान है कि इसमें करीब 7 हजार सैनिक, 150 सैन्य वाहन, और 50 से अधिक लड़ाकू विमान शामिल लेंगे. परेड की लागत 25 से 45 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जिसमें सुरक्षा व्यवस्था, सड़क बंदी और अन्य प्रशासनिक खर्च शामिल हैं.
व्हाइट हाउस और आसपास के इलाकों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी
वहीं दूसरी ओर इस आयोजन को लेकर देशभर के विभिन्न संगठनों ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है. नो किंग्स डे नामक समूह ने मुख्य रूप से इस दिन को ‘तानाशाही के खिलाफ जन-प्रतिरोध’ के तौर पर मनाने का आह्वान किया है. जानकारी के अनुसार, व्हाइट हाउस, आर्लिंगटन और पोटामैक नदी के आसपास प्रदर्शनकारियों के जुटने की तैयारी है . प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह परेड लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है और इसका मकसद एक व्यक्ति विशेष के महिमामंडन को प्रदर्शित करना है, न कि सेना के बलिदान का सम्मान.
भारी बल से निपटेंगे… राष्ट्रपति ट्रंप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परेड से पहले सख्त चेतावनी दी है. उन्होंने साफ कहा है कि वाशिंगटन में किसी भी तरह की अराजकता या हिंसा को ‘बहुत भारी बल’ से कुचला जाएगा. उन्होंने कहा कि यह अमेरिका की ताकत का दिन है और जो कोई इसे बाधित करेगा, उससे पूरी ताकत से निपटा जाएगा.
वहीं राष्ट्रपति ट्रंप के इस बयान की डेमोक्रेट पार्टी ने जमकर निंदा की है. कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया है. इसी तरह कई सामाजिक संगठनों ने भी इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ एक्शन कहा है.
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