अपने मन को यदि हम सुधारेंगे तो जगत में हमें कुछ भी दोष नहीं आयेगा नजर: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कंटकेनैव कंटकम्- भगवान शिव ने श्रीशिवमहापुराण में भगवती सती को ज्ञानोपदेश देते हुए कहा है कि यह जगत बुरा नहीं है, बल्कि इस जगत को देखने वाले का मन बिगड़ा हुआ। अपने मन को यदि हम सुधारेंगे तो जगत में हमें कुछ भी दोष नजर नहीं आयेगा।
लौकिक वासना से बिगड़ा हुआ मन अलौकिक वासना में फँसता है, तभी सुधरता है। संसार के पदार्थों को प्राप्त करने की वासना लौकिक वासना है और भगवान को प्राप्त करने की वासना अलौकिक वासना कहलाती है। यदि हृदय में प्रभु को प्राप्त करने एवं उसी में समाजाने की वासना पैदा होगी तो संसार के प्रति साधक की वासना निश्चित ही नष्ट हो जायेगी।
इसलिए फिर से कहता हूं- लौकिक वासना का कांटा अलौकिक वासना के कांटे से ही निकाला जा सकता है।अपने मन को अलौकिक वासना से भर दो, लौकिक वासना अपने-आप समाप्त हो जायेगी. जिसका जीवन सादा है वही सच्चा साधु है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।
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