एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष (FY26) में भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) तेल की कम कीमतों और LPG घाटे में कमी के चलते मजबूत आय दर्ज करेंगी. HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च का कहना है कि कच्चे तेल की घटती कीमतें और OMC की बड़ी पूंजीगत व्यय योजनाएं कंपनियों को पर्याप्त सुरक्षा मार्जिन प्रदान कर रही हैं.
इससे यह भरोसा बनता है कि उनकी अनुमानित आय का स्तर स्थिर बना रहेगा. इसके अलावा, तेल की कम कीमतें ऑटो ईंधन की मार्केटिंग पर सकारात्मक असर डाल रही हैं, जो फिलहाल ₹5 से ₹9 प्रति लीटर के बीच मजबूत मार्जिन दे रही हैं और यह FY26 की आय के दृष्टिकोण को और भी बेहतर बनाता है.
तेल और एलपीजी की कीमतों में नरमी से OMC को राहत
इसके अलावा, ग्लोबल एलपीजी (Global LPG) की कीमतों में भी कमी आई है, जिससे FY26 की पहली तिमाही की तुलना में वर्तमान में प्रति सिलेंडर एलपीजी घाटे में 30-40% की कमी आई है. रिपोर्ट में कहा गया है, इसके परिणामस्वरूप FY26 में अंडर-रिकवरी कम होगी.
हालांकि,ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को LPG के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा प्रावधानित 300 अरब रुपए के पे-आउट मैकेनिज्म पर अधिक विवरण की प्रतीक्षा है (जिसका अभी हिसाब नहीं है), ये रुझान आय पूर्वानुमानों के लिए ऊपर की ओर जोखिम पैदा करते हैं.
FY26 में रिफाइनिंग मार्जिन में स्थिरता की उम्मीद
ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन दीर्घकालिक औसत से कम बना हुआ है, लेकिन प्रोडक्ट क्रैक स्वस्थ और FY25 से अधिक बना हुआ है. यह दर्शाता है कि अगर रूसी कच्चे तेल के मिश्रण में बहुत अधिक बदलाव नहीं होता है, तो रिफाइनिंग लाभप्रदता पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर हो सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि FY26 की पहली तिमाही में पहले ही इन्वेंट्री लॉस दर्ज हो चुका है और ब्रेंट की कीमतें 65-67 डॉलर प्रति बैरल, स्थिर तेल कीमतों के साथ, इन्वेंट्री लॉस से होने वाले झटके की संभावना कम है. कम तेल की कीमतें कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को भी कम करेंगी, जिससे उधार लेने की जरूरतें कम होंगी. तिमाही आधार पर (पहली तिमाही में), HPCL/BPCL के लिए प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) 30% /90% बढ़ा, जबकि आईओसीएल के लिए इन्वेंट्री प्रभाव के कारण 20% कम रहा.
रूसी तेल पर निर्भरता आर्थिक कारणों से तय
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीनों ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के लिए रूसी कच्चे तेल का मिश्रण अलग-अलग है, लेकिन सभी ने संकेत दिया है कि मिश्रण में कोई भी बदलाव पूरी तरह से आर्थिक कारणों से प्रेरित होगा. FY26 की पहली तिमाही में रूसी कच्चे तेल की छूट घटकर 1.5-2 डॉलर प्रति बैरल रह गई है और FY25 की चौथी तिमाही में 120 अरब रुपये की तुलना में एलपीजी घाटा कम होकर 80 अरब रुपए रह गया है. साथ ही मार्केटिंग मार्जिन में सुधार हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है, कच्चे तेल की कम कीमतों के कारण आय में वृद्धि को देखते हुए हम मार्केटिंग मार्जिन अनुमान बढ़ा रहे हैं.