भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के फिर से सक्रिय होने और GST 2.0 जैसे सुधारात्मक कदमों के बीच, देश में महंगाई के 2004 के बाद अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय सितंबर में ब्याज दरों में कटौती करना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए एक रणनीतिक और दूरदर्शी निर्णय हो सकता है.
इससे RBI एक व्यवहारिक और दीर्घकालिक सोच रखने वाले केंद्रीय बैंक के रूप में उभर सकता है. केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक निर्धारित है. पिछली बैठक में ब्याज दरों में बड़ी कटौती के बाद अगस्त में रेपो रेट को 5.50% पर स्थिर रखा गया था.
FY27 में भी कम रहेगी महंगाई
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, हमारा मानना है कि सीपीआई महंगाई का निचला स्तर अभी तक नहीं पहुंचा है और जीएसटी रेशनलाइजेशन के कारण यह और 65-75 बेसिस पॉइंट गिर सकता है. घोष ने कहा, FY27 में भी महंगाई कम रहेगी और जीएसटी रेट में कटौती के बिना यह सितंबर और अक्टूबर में 2% से नीचे रहेगी. FY27 के सीपीआई आंकड़े अब 4% या उससे कम हैं और जीएसटी सुधार के साथ, अक्टूबर में सीपीआई 1.1% के करीब हो सकता है, जो 2004 के बाद सबसे कम है.
CPI में 20-30 बेसिस पॉइंट की और गिरावट की उम्मीद
2019 का अनुभव भी बताता है कि दरों में सुधार से कुछ ही महीनों में कुल महंगाई में लगभग 35 बेसिस पॉइंट की गिरावट आई. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा, नई CPI सीरीज के साथ, हमें सीपीआई में 20-30 बेसिस पॉइंट की और गिरावट की उम्मीद है. ये सभी कारक (जीएसटी, बेस में बदलाव) बताते हैं कि FY26 और वित्त वर्ष 27 के दौरान सीपीआई महंगाई, महंगाई लक्ष्य (4+2%) के निचले स्तर के आसपास रहेगी. घोष के अनुसार, सितंबर में ब्याज दर में कटौती करने का एक अलग तर्क और औचित्य है.
आरबीआई को सावधानीपूर्वक देनी होगी जानकारी
घोष ने कहा, लेकिन इसके लिए आरबीआई को सावधानीपूर्वक जानकारी देनी होगी, क्योंकि जून के बाद ब्याज दर में कटौती के लिए मानदंड वास्तव में अधिक है. लेकिन, सितंबर में ब्याज दरें नहीं घटाने से टाइप 2 की गलती दोहराने का कोई मतलब नहीं है. महंगाई FY27 में भी कम रहेगी और GST रेट में कटौती के बिना, यह सितंबर और अक्टूबर में 2% से नीचे रहेगी.
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