भारत में FY25-26 की दूसरी छमाही में खपत में तेज सुधार होने की संभावना है. इसका मुख्य कारण जीएसटी में कटौती, ब्याज दरों में कमी और टैक्स सुधार को बताया जा रहा है. यह जानकारी एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी (MPFASL) की गुरुवार को जारी रिपोर्ट में दी गई है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि FY26-27 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% तक पहुंच सकती है. इसके पीछे सामान्य मानसून, कम मुद्रास्फीति, बढ़ती घरेलू आय, सस्ती उधारी और कम खुदरा कीमतें जैसे कारण हैं. साथ ही, नीतिगत ब्याज दरों में भी कटौती की प्रक्रिया जारी है.
खाद्य महंगाई दर कम होकर हुई नकारात्मक
रिजर्व बैंक द्वारा एमसीएलआर में की गई 1% की कटौती में से 0.20-0.30% की कमी को ही बैंक द्वारा ग्राहकों को पास किया गया है. देश में महंगाई दर 2025 के मध्य में कम होकर 2.1% हो गई है, जो कि अक्टूबर 2024 में 6.2% थी. वहीं, खाद्य महंगाई दर कम होकर नकारात्मक हो गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य या ईंधन की कीमतों में अचानक वृद्धि से महंगाई से मिलने वाली राहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जबकि कर रियायतों से उत्पन्न राजकोषीय दबावों को सावधानीपूर्वक संतुलित करने की आवश्यकता है.
FY25-26 के लिए GDP वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान
हालांकि, व्यापारिक तनाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान अभी भी चिंता का विषय बने हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सिस्टम लिक्विडिटी, जो 2025 की शुरुआत में थोड़े समय के लिए नकारात्मक रही थी, अगस्त में बढ़कर 3.97 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
इससे केंद्रीय बैंक के द्वारा रेपो रेट में कटौती को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी. आरबीआई ने FY25-26 के लिए GDP वृद्धि दर 6.8% रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन कम महंगाई, बेहतर लिक्विडिटी और जीएसटी सुधारों के संयुक्त प्रभाव से वित्त वर्ष 2026-27 में यह वृद्धि दर लगभग 7% तक पहुंचने की संभावना है.
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