US-India relations: भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में इस वक्त टैरिफ को लेकर खटास बनी हुई है. इसी बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके मंत्रियों ने रुसी तेल खरीद का हवाला देते हुए भारत पर कई तरह के बेतुके बयान दिए थे. साथ ही भारत पर रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद करने जैसे आरोप भी लगाए थे, लेकिन अब जब बात खुद पर बन आई तो अमेरिका के सुर फिर से बदलने लगे हैं.
ट्रंप की नीतियों से भारत-अमेरिका में तनाव
दरअसल, चीन द्वारा दुर्लभ खनिज तत्वों के निर्यात पर लगाए गये प्रतिबंध का अमेरिका ने विरोध किया है. खास बात यह है कि इस दौरान अमेरिका ने भारत को अपना सबसे बड़ा सहयोगी बताया है.
अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने प्रतिबंध वाले मुद्दे पर चीन की आलोचना भी की है. उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग की सरकार पर आरोप लगाया है कि चीन ने ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक और रक्षा उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण चुम्बक बनाने में प्रयुक्त खनिजों पर नए निर्यात नियंत्रण के जरिये नुकसान पहुंचाने कि कोशिश कर रहा है. बेसेन्ट ने कहा कि ये ‘चीन बनाम विश्व’ है.
अमेरिका ने भारत को बताया बड़ा सहयोगी
बेसेंट ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन ने पूरी मुक्त दुनिया की चेन और औद्योगिक बेस पर निशाना साधा है, और आप जानते हैं, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.” उन्होंने कहा कि हम पहले से अपने सहयोगियों के संपर्क में हैं. बेसेंट ने बताया कि इस हफ्ते वो अपने सहयोगियों के साथ बैठक करेंगे. उन्होंने कहा कि इस बैठक से हमें पूरी उम्मीद है कि बाकी राष्ट्र हमारी मदद करेंगे. अमेरिका अपनी संप्रभुता का विभिन्न तरीकों से दावा करेगा, ”चीन एक कमांड-एंड-कंट्रोल अर्थव्यवस्था है. वे न तो हमें कमांड करेंगे और न ही कंट्रोल करेंगे.”
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