भारत में 1 नवंबर से शुरू होने वाले 45-दिन के शादी के सीजन में लगभग 46 लाख शादियों के होने का अनुमान है, जिससे करीब 6.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है. यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई. सीएआईटी रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसायटी (CRTDs) की स्टडी के अनुसार, इसी अवधि में दिल्ली में करीब 4.8 लाख शादियां होने की उम्मीद है, जिससे लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपए का कारोबार उत्पन्न होगा.
शादी पर खर्च में हुई बढ़ोतरी
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा ने कहा कि 75 शहरों में किया गया अध्ययन बताता है कि शादी पर खर्च में बढ़ोतरी हुई है और शादियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले करीब समान ही रही है. कैट के महासचिव और चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह वृद्धि बढ़ी हुई खर्च योग्य आय, कीमती धातुओं (सोना और चांदी) में महंगाई और रिकॉर्ड तोड़ त्योहारी सीजन के बाद बढ़ते उपभोक्ता विश्वास को दर्शाती है.
2024 में भारत में 48 लाख हुईं शादियां
2024 में भारत में 48 लाख शादियां हुईं, जिन पर कुल 5.90 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि 2023 में 38 लाख शादियों पर 4.74 लाख करोड़ रुपए का खर्च हुआ था. इस स्टडी से स्वदेशी उत्पादों की ओर मजबूत रुझान दिखाई देता है, क्योंकि अब शादी से जुड़े 70% से अधिक खर्च भारतीय उत्पादों पर किया जा रहा है, जिसमें परिधान, आभूषण, सजावट, बर्तन और खानपान शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कैट के “वोकल फॉर लोकल वेडिंग्स” अभियान ने चीनी लाइटिंग, आर्टिफिशियल डेकोर और गिफ्ट जैसे आयातित सामानों की उपस्थिति को काफी हद तक कम कर दिया है.
आतिथ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को होगा सीधा लाभ
खंडेलवाल ने कहा कि इस शादी के मौसम में 1 करोड़ से अधिक अस्थायी नौकरियां पैदा हो सकती हैं, जिससे डेकोरेटर, कैटरर्स, फूलवाले, कलाकार, ट्रांसपोर्टर और आतिथ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों को सीधा लाभ होगा. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गय कि शादी का मौसम सरकारी कर राजस्व में लगभग 75,000 करोड़ रुपए का योगदान देगा. कैट के क्षेत्रीय अनुमान के अनुसार, शादी के सीजन में आभूषण आर्थिक गतिविधियों में सबसे बड़ा योगदान देंगे, जिनका हिस्सा 15% होगा, जबकि परिधान और साड़ियों का योगदान 10 प्रतिशत रहने का अनुमान है.


