ट्रंप के आदेश के बाद H-1बी वीजा के दुरुपयोग को लेकर जांच शुरू, 175 कंपनियों पर लटकी कार्रवाई की तलवार!

Must Read

Washington: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के आदेश के बाद एच-1बी वीजा कार्यक्रम के संभावित दुरुपयोग को लेकर जांच शुरू कर दी गई है. जांच के बाद अब कम से कम 175 कंपनियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है. श्रम विभाग ने सोशल मीडिया अभियान के तहत कंपनियों को भी चेतावनी है. कहा है कि अमेरिकी कंपनियों को तकनीक और इंजीनियरिंग जैसे खास क्षेत्रों में नौकरी के लिए अमेरिका के लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

आप्रवासन सुधार और नौकरी संरक्षण को लेकर कई बड़े फैसले

ट्रंप की सरकार ने हाल ही में आप्रवासन सुधार और नौकरी संरक्षण को लेकर कई बड़े फैसले लिए हैं. इसमें सरकार ने यह स्पष्ट किया कि अमेरिकी नौकरियों की रक्षा और विदेशी पेशेवरों की तुलना में स्थानीय कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. इसके बाद से अब डीओएल ने प्रोजेक्ट फायरवॉल लॉन्च किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियोक्ता नौकरी के पदों के लिए अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दे रहे हैं या नहीं?

वीजा कार्यक्रम का नहीं कर रहे हैं दुरुपयोग

रिपोर्ट के अनुसार डीओएल ने सितंबर में प्रोजेक्ट फायरवॉल शुरू किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नियोक्ता नौकरियों के लिए अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दे रहे हैं और वीजा कार्यक्रम का दुरुपयोग नहीं कर रहे हैं. इसकी घोषणा ऐसे समय में हुई जब एच-1बी वीजा आवेदनों पर एकमुश्त 100,000 डॉलर का शुल्क लगाया गया है.

संभावित दुरुपयोग का पता लगाने के लिए 175 जांचें शुरू

एच-1बी वीजा कार्यक्रम के संभावित दुरुपयोग का पता लगाने के लिए कम से कम 175 जांचें शुरू की हैं. लेकिन श्रम विभाग ने 175 जांचों का विवरण नहीं दिया, जिनमें श्रमिकों को 15 मिलियन डॉलर से ज्यादा की बकाया मजदूरी का हिसाब-किताब है. हालांकि जांच में कई खामियां सामने आई हैं. इन खामियों में यह भी सामने आया है कि उच्च शैक्षणिक डिग्रियों वाले कुछ विदेशी कर्मचारियों को नौकरी विवरण में उल्लिखित वेतन से कहीं कम वेतन दिया जाता था.

कम वेतन स्वीकार करने के लिए होना पड़ा मजबूर

डीओएल ने कहा कि इस चिंता के कारण वीजा धारकों और अमेरिकी कर्मचारियों दोनों के वेतन में कमी आई, साथ ही समान शैक्षणिक योग्यता वाले अमेरिकी कर्मचारियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए कम वेतन स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जांच में पाया गया कि नियोक्ताओं ने एच-1बी वीजा धारक की सेवा समाप्त होने पर अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं को सूचित तक नहीं किया या सेवा समाप्त होने और नियोक्ता द्वारा एजेंसी को सूचित करने के बीच काफी अंतराल मिला.

श्रम विभाग के पास करना होता है दाखिल

जांच में एक और चिंता का विषय श्रम स्थिति आवेदन (एलसीए) के बारे में सामने आया कि यह एक ऐसा फॉर्म है जिसे नियोक्ताओं को एच-1बीए एच-1बी1 और ई-3 वीजा कार्यक्रमों के लिए विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए श्रम विभाग के पास दाखिल करना होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नियोक्ताओं को एलसीए दाखिल करते समय विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने से पहले अमेरिकी कर्मचारियों को सूचित करना आवश्यक है.

कम दिया जा रहा था वेतन

कर्मचारियों को एलसीए में बताए गए वेतन से कम वेतन दिया जा रहा था. इसके अलावा नियोक्ता अमेरिकी कर्मचारियों के लिए नौकरी के नोटिस कॉपी-पेस्ट कर रहे थे जिनका फॉर्म में बताई गई नौकरी से कोई खास संबंध नहीं था. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कुछ कर्मचारियों ने बेंचिंग में भाग लिया था जो तब होता है जब एच-1बी वीजा धारकों को सक्रिय कार्य परियोजनाओं के बीच में भुगतान नहीं किया जाता है.

इसे भी पढ़ें. Gazipur Literature Festival 2025: साहित्य, संस्कृति और संवाद का संगम, भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने गाजीपुर की महत्ता पर दिया जोर

 

Latest News

‘गाजीपुर पर मुझे गर्व है…’, गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल के ‘जड़ों की ओर’ सत्र में बोले भारत एक्सप्रेस के CMD उपेन्द्र राय

Ghazipur Literature Festival Day 2: भारत एक्सप्रेस के सीएमडी व एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने वाराणसी में आयोजित पूर्वांचल के सबसे...

More Articles Like This