राष्ट्र निर्माण एवं सनातन संस्कार के प्रति समर्पण का पर्याय है ब्राह्मण: डा. दिनेश शर्मा

Shivam
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Delhi/Lucknow: राज्यसभा सांसद एवं यूपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने कहा कि ब्राह्मण राष्ट्र निर्माण एवं सनातन संस्कार के प्रति समर्पण की भावना का पर्याय है, जो अपने को पिघलाकर राष्ट्र को खड़ा करने का कार्य करने की क्षमता रखता है. ये समाज का ऐसा वर्ग है जो मंत्र पढ़कर सबसे पहले मानव के कल्याण की बात करता है.

सभी जाति और वर्ग के लिए गठित की गई है संस्था- डा. शर्मा

नवगठित विश्व ब्राह्मण कल्याण परिषद के गठन के लिए आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए डा. शर्मा ने कहा कि ये संस्था असल में मानव के कल्याण सभी जाति और वर्ग के लिए गठित की गई है. देश को विश्वगुरु एवं विकसित राष्ट्र बनाने में समाज के इस वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका होने वाली है. विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए समाज का विकास भी महत्वपूर्ण है. इसलिए एक दूसरे से अधिक श्रेष्ठ होने का भाव नहीं लाना है. अमेरिका जैसे बड़े देश में जितनी भी बड़ी कंपनियां हैं उनके सीईओ ब्राह्मण ही हैं. आज अमेरिका का राष्ट्रपति भी ब्राह्मण समाज की क्षमता का लोहा मान रहा है. समाज के इस वर्ग की क्षमता बेमिसाल है. ये अपने साथ ही हर वर्ग को आगे ले जाने के लिए भी प्रयासरत है.

ब्राह्मण समाज किसी के प्रति नहीं रखता दुर्भावना

ब्राह्मण को श्रेष्ठ जीवन जीने का प्रवाह बताते हुए सांसद ने कहा कि राष्ट्र निर्माण तथा समाज के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता के चलते ही वह सबके निशाने पर रहता है. देश में जितने भी आक्रान्ता आए थे उनके निशाने पर जनेऊ और शिखा रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि आक्रान्ताओं के अन्दर हीनता की भावना होती है. ब्राह्मण समाज किसी के प्रति दुर्भावना नहीं रखता है पर ये किसी से कमतर भी नहीं है क्योंकि उसमें बल बुद्धि विवेक है. राष्ट्र और सनातन को मजबूत करना ही उसका एकमात्र लक्ष्य होता है.

अंग्रेजों ने समाज को जातियों में बांटा था

डा शर्मा ने कहा कि सनातन को कमजोर करने का मंशा रखने वाले समाज को जातियों में बांटने का काम करते हैं. वर्ण व्यवस्था त्याग और तपस्या की व्यवस्था थी. समाज को जातियों में अंग्रेजों ने बांटा था. अध्ययन अध्यापन, भिक्षाटन, वेद पुराण की व्याख्या करने, संस्कारवान बनाने, राष्ट्र का हित चिंतन करने एवं समाज को जोड़ने वाला ही ब्राह्मण कहलाता है. हर कार्य में समाज को साथ लेकर चलने वाला ब्राह्मण समाज आज आलोचना का शिकार हो रहा है. विडम्बना ये भी है कि समाज में भी एक दूसरे से श्रेष्ठ होने का भाव पैदा होने लगा है.

जिसकी शक्ति होती है उसी की भक्ति होती है

उन्होंने कहा कि पूर्व राज्यपाल कलराज जी के साथ बैठक में समाज के लिए संगठन निर्माण का सुझाव मेरे ही आवास पर आया था. जो स्वयं को भूल जाता है उसे कोई याद नहीं करता है. इस संगठन के उद्देश्यों में सबसे महत्वपूर्ण है ब्राह्मण संगठनों में समन्वय के लिए कार्य करना. अलग-अलग संगठन भले ही हों पर समाज के वृहद हित के लिए एक छतरी के नीचे आना जरूरी है क्योंकि जिसकी शक्ति होती है उसी की भक्ति होती है.

सांसद ने कहा कि ये संगठन समाज के हर वर्ग को जोड़ने का कार्य करेगा. ऐसी व्यवस्था होगी कि कर्मकांड कराने वाले लोग सनातन को जीवित रख सकें. अपने शिक्षा मंत्री कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय में संस्कृत विद्यालयों को दोबारा आरंभ कराकर उसमें कर्मकांड के शिक्षकों द्वारा पठन-पाठन की प्रक्रिया हुई थी. ऐसा कर्मकांड की विद्या को जीवित रखने के लिए किया गया.

संस्कारों को जीवित रखना बड़ी चुनौती

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में व्यक्ति के आवरण से उसे परिभाषित किया जाने लगा है. ऐसे में संस्कारों को जीवित रखना बड़ी चुनौती भी है. केक पर लगी मोमबत्ती को बुझाकर उसे काटने और बांटने की संस्कृति घर-घर घुस चुकी है. इसे बदलने की बड़ी जरूरत है. जयपुर में समाज की एक संस्था ने इस दिशा में सराहनीय पहल की है. आज उस संस्था के एक भवन में ब्राह्मण समाज के लोगों के जन्मदिन अथवा अन्य अवसरों को मनाने के लिए स्थान के साथ पंडित भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं. समाज के युवाओं को आगे बढ़ाने के लिए भी कोचिंग, कौशल विकास जैसे तमाम तरह के प्रयास हो रहे हैं. जाति का प्रदर्शन ठीक नहीं है पर संस्कारों और सनातन के प्रदर्शन में कोई बुराई नहीं है.

राजस्थान में हुई ब्राह्मण समाज की रैली आज भी समाज की शक्ति को बताती है. ब्राह्मण समाज के लोगों को अपने समाज के बारे में भी सोचना होगा. अपने बच्चों को संस्कार देने होंगे. कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक पूज्य संत कैलाशानंद में श्री कलराज मिश्रा जी को अध्यक्ष पद स्वीकार करने का आग्रह किया, सभी ने समर्थन किया और पूर्व राज्यपाल श्री कलराज मिश्रा जी को अन्य पदाधिकारी को बनाने का अधिकार दिया.

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