भारतीय कंपनियों ने FY26 की दूसरी तिमाही में बीते दो वर्षों में अपने सबसे अच्छे नतीजे पेश किए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि आय ग्रोथ में कमजोरी का दौर अब समाप्त हो गया है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च के अनुसार, FY26 की सितंबर तिमाही में 69% कंपनियों ने उम्मीद के मुताबिक या उससे भी बेहतर प्रदर्शन किया है.
यह भारतीय इक्विटी पर हमारे ओवरवेट के नजरिए को सपोर्ट करता है. रिसर्च फर्म ने कहा कि कम महंगाई, ब्याज दरों में कटौती और आयकर में टैक्स छूट की सीमा बढ़ने से FY26 में आय वृद्धि दर करीब 10% रहने का अनुमान है, जो कि वित्त वर्ष 27 में करीब 14% रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रिकवरी में वित्तीय क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक रहा है. मार्जिन न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं और लोन ग्रोथ वापस आ गई है.
वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में कंपनियों का शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़ा है. यदि कमोडिटी सेक्टर की कंपनियों को बाहर किया जाए, तो शुद्ध आय सालाना आधार पर 8 प्रतिशत बढ़ी है. यह लगातार छठवीं तिमाही है जब कंपनियों की आय एकल अंक में बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, नेट इंटरेस्ट मर्जिन पर दबाव देखा गया है, हालांकि क्रेडिट लागत में कमी आई है.
जीएसटी सुधार का असर कंज्यूमर कंपनियों पर देखा गया है, लेकिन इन कंपनियों के मार्जिन में सुधार भी हुआ है. वहीं, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आईटी कंपनियों ने कमजोर मुद्रा के बावजूद बेहतर प्रदर्शन किया है. FY26 की दूसरी तिमाही में कमजोर प्रतिस्पर्धा से सीमेंट और पेंट कंपनियों को फायदा हुआ, फार्मा कंपनियों की बिक्री मजबूत रही, जबकि अस्पतालों को मार्जिन दबाव का सामना करना पड़ा.