Mahaparinirvan Diwas 2025: देश आज भारत रत्न डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें नमन कर रहा है. इसी बीच पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने भी श्रद्धांजलि दी है.
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा लिखा कि महापरिनिर्वाण दिवस पर वे डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर को स्मरण करते हैं. उनकी दूरदर्शी सोच, न्याय और समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता तथा संवैधानिक मूल्यों ने भारत की विकास यात्रा को दिशा दी है. एक्स पोस्ट के जरिए उन्होंने आगे कहा कि अंबेडकर ने पीढ़ियों को मानव गरिमा और लोकतांत्रिक आदर्शों को मजबूत करने के लिए प्रेरित किया. पीएम मोदी ने कामना की कि बाबासाहेब के आदर्श विकसित भारत के निर्माण में आगे भी हमारा मार्ग रोशन करते रहें.
Remembering Dr. Babasaheb Ambedkar on Mahaparinirvan Diwas. His visionary leadership and unwavering commitment to justice, equality and constitutionalism continue to guide our national journey. He inspired generations to uphold human dignity and strengthen democratic values.
May…— Narendra Modi (@narendramodi) December 6, 2025
राष्ट्रपति मुर्मू ने दी श्रद्धांजलि Mahaparinirvan Diwas 2025
वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी नई दिल्ली स्थित संसद भवन परिसर में डॉ. बीआर अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की. राष्ट्रपति भवन के आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट से जारी संदेश में बताया गया कि राष्ट्रपति ने श्रद्धा और सम्मान के साथ बाबासाहेब को नमन किया. राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा है कि अंबेडकर की शिक्षाएं और उनका संघर्ष भारत को एक न्यायपूर्ण, समानता-आधारित समाज बनाने की दिशा में आज भी हमारा मार्गदर्शन करता है.
6 दिसंबर 1956 को हुआ था डॉ. अंबेडकर का निधन
हर वर्ष 6 दिसंबर को यह दिन संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय के अग्रदूत और आधुनिक भारत के महान विचारक डॉ. अंबेडकर को याद करने के लिए मनाया जाता है. बता दें कि डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था. इसी दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1956 में ही बाबासाहेब ने हिंदू धर्म की कुरीतियों और सामाजिक असमानताओं से दुखी होकर बौद्ध धर्म अपनाया था. बौद्ध दर्शन के अनुसार परिनिर्वाण का अर्थ है मृत्यु के बाद पूर्ण मुक्ति, अर्थात सभी इच्छाओं, मोह-माया और सांसारिक बंधनों से पूरी तरह मुक्त होना. यह सर्वोच्च अवस्था बहुत कठिन मानी जाती है और सदाचार व अनुशासित जीवन से ही प्राप्त होती है.

