भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के लिए 100 करोड़ रुपए तक के क्रेडिट एक्सपोजर में लगातार वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, सालाना आधार पर यह 17.8% बढ़कर 43.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. सीआरआईएफ हाई मार्क की ताज़ा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एक्टिव लोन की संख्या सालाना आधार पर 5.7% बढ़कर 192.9 लाख हो गई है. यह संकेत देता है कि छोटे और मध्यम लोन की तुलना में बड़ी टिकट साइज वाले लोन में तेजी अधिक है.
सूक्ष्म उद्यमों की क्रेडिट एक्सपोजर में हिस्सेदारी स्थिर
क्रेडिट एक्सपोजर में लघु उद्यमों का योगदान बढ़कर 39.5% हो गया है, जबकि एक साल पहले यह 38.4% था. वहीं, मध्यम उद्यमों की हिस्सेदारी भी बढ़कर 23.1% हो गई है, जो पहले 22.5% थी. हालांकि, सूक्ष्म उद्यमों की क्रेडिट एक्सपोजर में हिस्सेदारी लगभग स्थिर बनी रही. इसके बावजूद, एक्टिव लोन की संख्या में सूक्ष्म उद्यम 86.4% की हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर रहे. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि MSME पोर्टफोलियो की गुणवत्ता में लगातार सुधार जारी है. सितंबर 2025 तक 91-180 दिनों के लिए MSME पोर्टफोलियो जोखिम1.6% तक पहुँच गया, जो पिछली तिमाही की तुलना में सुधार का संकेत देता है.
भारत के एमएसएमई लोन इकोसिस्टम में सुधार
सीआरआईएफ हाई मार्क के अध्यक्ष और सीआरआईएफ इंडिया एवं दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक, सचिन सेठ ने कहा, भारत का एमएसएमई लोन इकोसिस्टम भारत के व्यापक आर्थिक परिवर्तन के साथ मजबूती को प्रदर्शित कर रहा है. लोन मात्रा के मामले में सूक्ष्म उधारकर्ता रीढ़ बने हुए हैं और वास्तविक लोन गति छोटे और मध्यम उद्यमों की ओर बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक 36.3% हिस्सेदारी के साथ सूक्ष्म उद्यमों को मुख्य ऋणदाता बने हुए हैं, जबकि निजी बैंक क्रमशः 46.4% और 47% हिस्सेदारी के साथ लघु और मध्यम ऋण श्रेणियों में अग्रणी हैं.
एनबीएफसी ने अपने क्रेडिट दायरे का किया विस्तार
एनबीएफसी ने अपने क्रेडिट दायरे का विस्तार किया और सूक्ष्म उद्यमों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 20.1 प्रतिशत, लघु उद्यमों में 13.9 प्रतिशत और मध्यम उद्यमों में 15.7 प्रतिशत कर ली. महाराष्ट्र 7 लाख करोड़ रुपए के बकाया क्रेडिट एक्सपोजर के साथ सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है, जिसमें सालाना आधार पर मजबूत वृद्धि देखी गई है.

