‘शेख हसीना को बांग्लादेश पर बयान देने से रोका जाए!’ यूनुस ने पीएम मोदी से क्यों किया था आग्रह?

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New Delhi: बांग्लादेश और भारत में लगातार तनाव बढ रहा है. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का एक प्रमुख कारण बन चुकी है. डॉ. यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह भी आग्रह किया कि हसीना को भारत में रहते हुए बांग्लादेश की राजनीति पर बयान देने से रोका जाए क्योंकि इसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है.

अंतरिम सरकार सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार

हाल ही में शेख हसीना ने अंतरिम सरकार को विफल बताते हुए कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक हिंसा के लिए उसे जिम्मेदार ठहराया. भारत में शरण देने के लिए उन्होंने नई दिल्ली का आभार जताया लेकिन अपने शासनकाल में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में हुई विफलताओं पर कोई आत्मालोचना नहीं की. यही वह बिंदु है जहां सवाल उठता है कि शेख हसीना भारत के हिंदुओं से माफ़ी क्यों नहीं मांग रहीं?

माफ़ी मांगना उनकी पहली नैतिक ज़िम्मेदारी

सत्ता में रहते हुए वे हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रहीं और सत्ता से बाहर होने के बाद भी उन्होंने इस नैतिक जिम्मेदारी को स्वीकार नहीं किया. आज जब वे एक वर्ष से अधिक समय से हिंदू-बहुल भारत में शरण लिए हुए हैं तो क्या माफ़ी मांगना उनकी पहली नैतिक ज़िम्मेदारी नहीं होनी चाहिए? बता दें कि बांग्लादेश इस समय राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक तनाव और सांप्रदायिक हिंसा के जटिल दौर से गुजर रहा है.

भारत-विरोधी बयानबाज़ी और हिंसक घटनाओं ने ज़ोर पकड़ा

युवा कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत के बाद देश में भारत-विरोधी बयानबाज़ी और हिंसक घटनाओं ने जिस तरह ज़ोर पकड़ा है उसने न केवल आंतरिक हालात बिगाड़े हैं बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी गंभीर चुनौती दी है. यह सब ऐसे समय हो रहा है जब बांग्लादेश 12 फरवरी 2026 को प्रस्तावित आम चुनावों की तैयारी में है.

नाबालिगों सहित 1400 से अधिक लोगों की मौत

जुलाई-अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले व्यापक आंदोलन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी. उस आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में नाबालिगों सहित 1400 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिसके लिए बांग्लादेशी अदालत ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा सुनाई. इसके बावजूद शेख हसीना और अवामी लीग के हजारों नेता, कार्यकर्ता आज भी भारत में रह रहे हैं.

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