Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, त्रिपुरारी की करुणा प्रारब्ध बदलने में सक्षम- प्रारब्ध को मिटाने की अद्भुत क्षमता भगवान् शंकर में है। सभी देवता है लेकिन यदि प्रारब्ध के लिखे हुए को मेटना(बदलना)हो,वह भगवान शंकर ही कर सकते हैं।
जो तप करै कुमारि तुम्हारी।
भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी।।
भगवान शंकर प्रारब्ध को बदल सकते हैं। 12 वर्ष की आयु में मार्कण्डेय की मृत्यु निश्चित थी। उन्होंने महामृत्युंजय का जप किया और वह भगवान शंकर की कृपा से अमर हो गये। मार्कण्डेय आज भी है।होनी को बदलना बहुत कठिन है, प्रारब्ध को मेटना बहुत कठिन है लेकिन भगवान शंकर में यह सहज क्षमता है कि वह होनी को भी बदल देते हैं। प्रारब्ध को बदल देते हैं।
इसीलिए भोलेनाथ का चिंतन यदि निरंतर होता रहे, तब आपके जीवन की बहुत सारी ऐसी घटनाएं जो दुःख देने वाली थी, वह सुखदाई हो जायेंगी। जीवन में ऐसा शुभ कर्म होगा जिनके करने से मंगल होता है। तप करने से सारे काम सिद्ध होते हैं। जो भी सिद्धियां मिलती हैं, सब तप के आधार पर मिलती है।
जपात् सिद्धि जपात् सिद्धि जपात् सिद्धि पुनः पुनः। साधक के लिए तब अनिवार्य है।
जप करना भी एक तप है शास्त्रों में अनेक प्रकार के तपों का वर्णन है। निरन्तर नाम का जप करना भी एक तप है। इसको भी यज्ञ कहा गया है। पार्वती अम्बा शिव की प्राप्ति के लिए पंचाग्नि तापती है। चारों कोनों में आग जलाकर बीच में बैठ गईं, ऊपर से सूर्य नारायण की गर्मी पड़ रही है। इसको पंचाग्नि कहा जाता है। शरीर के पांचो तत्वों की शुद्धि के लिए पंचाग्नि तापी जाती है।
इन्द्रियों को विषयों से मोड़ना और मन को ईश्वर से जोड़ना, इसका नाम तप होता है। जो इन्द्रियों को विषयों से जोड़कर रखते हैं, उनके लिए पत शब्द है। ‘ पत ‘ तप का उल्टा होता है। पत से संस्कृत में पतति बनता है और पतति का अर्थ होता है, नीचे गिरना। तप से तपति बनता है, तपति का अर्थ है ऊपर उठना। जो तपेगा वह ऊपर उठे और जो भोगों में फंसेगा वह (पतति) नीचे गिरेगा। ऊपर उठने के लिए देव, दानव, मानव सबने तप किया है।
भोले बाबा ने भूत-प्रेतों को सारे गणों को विवाह में शामिल होने के लिए बुला लिया।श्रीशिवमहापुराण में लिखा है कि जो शिव पार्वती के मंगलमय विवाह को सुनते हैं, पढ़ते हैं। उनके हर कार्य मंगल पुर्वक पूरे होते हैं। उनके घर सदा मंगल होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।