गुरु के मार्गदर्शन में रहकर, शिष्य का जीवन आध्यात्मिक विकास को करता है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बालक की गंदगी को जल से जैसे माँ स्वच्छ करती है उसी तरह सद्गुरु भी अपने वात्सल्यरूपी जल से राग,द्वेष आदि गंदगी दूर करते हैं। माँ बालक को दूध पिलाती है और सद्गुरु हमें भगवान की मंगलमय कथा एवं ज्ञानोपदेश देते हैं। सद्गुरु अर्थात् प्रकट दीपक, वहां ज्योति है ज्ञान की।
सद्गुरु अर्थात् प्रकट ज्ञान, वहां सद्गुरु में ज्ञान की ज्योति है। देखने में तो हम भी उस दीपक की भांति हैं, लेकिन हमारे में जो ज्ञान है वह अप्रगट है। इसलिए सदगुरू पास जाओ, उनके चरणों में बैठो, उनको प्रणाम करो, आपके भीतर का ज्ञान प्रकट हो जायेगा। गुरु की छत्रछाया में रहकर, गुरु के मार्गदर्शन में रहकर, शिष्य का जीवन आध्यात्मिक विकास को प्राप्त करता है।
कभी-कभी पिता बनकर दंड भी देते हैं तो कभी माता बनकर क्षमा कर देते हैं। ढका हुआ ज्ञान अज्ञान है। सच्चाई में अज्ञान का अस्तित्व ही नहीं है। ढके हुए ज्ञान को ही अज्ञान कहते हैं। आपने देखा अज्ञान शब्द में भी ज्ञान शब्द है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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