कलियुग का मनुष्य घर का नहीं कर सकता त्याग: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, घर-प्रभु का मंदिर- आज का मनुष्य न तो घर छोड़ सकता है और न ही घर में शांति प्राप्त कर सकता है. घर के लड़के-लड़की आज्ञा नहीं मानते. इस भारी क्लेश के होते हुए भी मनुष्य तो घर में ही रहता है. भागवत की कथा ऐसे ही घर-लोलुप मनुष्यों के कल्याणार्थ कही गई कथा है. कलियुग का मनुष्य चाहे ज्ञान की बात करे, किंतु उन बातों के अनुसार आचरण करके घर का त्याग नहीं कर सकता, जिसे संसार के सुख में ही मिठास दिखाई देता है,
वह घर छोड़कर ब्रह्म-चिंतन में अपना मन नहीं लगा सकता. जो मनुष्य तम्बाकू जैसी साधारण चीज भी नहीं छोड़ सकता है, वह घर को तो कैसे छोड़ सकेगा? ऐसी परिस्थिति में मानव को कल्याण मार्ग में लगाने के लिए भागवत कहता है, ‘आप चाहे घर मत छोड़ो, किंतु प्रत्येक वस्तु प्रभु को अर्पित करके प्रसादी के रूप में ग्रहण करोगे तो कर्म के बंधन में नहीं बँधोगे. आप सर्वस्व का चाहे त्याग न कर सको, किंतु अपने घर को ठाकुरजी का मंदिर तो जरूर बना सकते हो. यह घर तुम्हारा नहीं है, प्रभु का मंदिर है और इसके मालिक भगवान हैं-
ऐसी भावना से रहोगे तो घर में मन लिप्त नहीं होगा और कोई पाप नहीं लगेगा. रोज थोड़ी-थोड़ी मृत्यु की तैयारी करते रहो. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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