भागवत में जीवमात्र के लिए भगवत प्राप्ति हेतु उत्तम मार्गों का कराया गया है दिग्दर्शन: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कामी, क्रोधी, लोभी, मोही, मदी, मत्सरी को भगवान की प्राप्ति हो सकती है ऐसा तो किसी धर्म ग्रंथ में नहीं लिखा है। किंतु भागवत तो कहता है कि यदि मनुष्य के काम, क्रोध, लोभ या मोह भगवान की तरफ घूम जायें- इन सभी का आधार यदि भगवान ही बन जायँ तो ये भी भगवत प्राप्ति के साधन बन जाते हैं। कई गोपियों के मन में श्रीकृष्ण के प्रति काम, क्रोधादि भाव भी था। काम तो नरक का द्वार है,

फिर भी यह काम क्रोधादि भाव भी भगवान के साथ जुड़ गया था, इसीलिए गोपियां निष्काम बन गई। अर्थात भागवत में तो जीवमात्र के लिए भगवत प्राप्ति हेतु उत्तम मार्गों का दिग्दर्शन कराया गया है। सगर्भा स्त्री के विचार और व्यवहार का प्रभाव बालक पर बहुत गहरा पड़ता है। स

भी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर(राजस्थान)।

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