सतत सत्संग करने वाले को ही विवेक रूपी पुत्र की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संतानहीनता के दुःख से दुःखी होकर आत्महत्या करने के लिए गए हुए आत्मदेव को प्रभु-प्रदत्त परिस्थिति में संतोष मानने का उपदेश देने पर जब कोई फल न निकला, तब नारद जी ने उनकी पत्नी के लिए एक फल दिया। आलसी धुंधली ने उस फल को स्वयं न खाकर गाय को खिला दिया और छोटी बहन के बच्चे को स्वयं ने जन्म दिया है – ऐसा कहकर आत्मदेव को धोखे में रखा।
यह पुत्र धुंधकारी दुराचारी निकला, जिसके फलस्वरूप पिता की अकाल मृत्यु हुई और मां को आत्महत्या करनी पड़ी। आत्मदेव तुंगभद्रा नदी के किनारे रहता था। तुंगभद्रा का अर्थ है – खूब कल्याण करने की संभावना से युक्त मानव काया। दुर्लभ मानव-काया के किनारे आत्मदेव आया तो था सद्गति प्राप्त करने, किन्तु उसने धुंधली -धूँ-धूँ  करने वाली चंचल बुद्धि के साथ विवाह किया। फलस्वरूप विवेक रूपी पुत्र तो नहीं हुआ, बल्कि और दुःख बढ़ गया।
सतत सत्संग करने वाले को ही विवेक रूपी पुत्र की प्राप्ति होती है। बुद्धि के वशीभूत रहने वाले तथा विषय संग में रचे-पचे मनुष्य  को तो अंत में रोना ही पड़ता है। वक्ता या श्रोता की तन्मयता में जो विक्षेप डालते हैं, उन्हें दोष लगता है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

ये भी पढ़ें :- UP: CM योगी ने पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को दिए करोड़ों के चेक, बोले- सरकारी नौकरी…

Latest News

04 November 2025 Ka Panchang: मंगलवार का पंचांग, जानिए शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

04 November 2025 Ka Panchang: हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को करने से पहले शुभ और अशुभ मुहूर्त...

More Articles Like This