प्रतिदिन भागवत के आधे श्लोक का पाठ करने वाले को एक हजार गोदान का मिलता है फल: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत वेदरूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है जिसमें गुठली, छिल्का जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है। अतः भक्तों को यह रस जीवन भर पीते रहना चाहिये। यदि कानों के द्वारा इस रस को पिया गया तो निश्चित है कि जीवन में शान्ति और अन्त में मुक्ति प्राप्त होगी। महर्षि वेदव्यास अठारह पुराणों की रचना एवं एक लाख श्लोक वाला-महाभारत लिखकर भी अशांति का अनुभव कर रहे थे।
अन्त में देवर्षि नारद के उपदेश से व्यास जी ने भागवत की रचना की और उन्हें शांति प्राप्त हुई। जैसे भांग खाने वाले को भांग खाने के बाद नशा बुलाना नहीं पड़ता, नशा अपने आप आता है, इसी तरह भागवत पढ़ने-सुनने वाले को भक्ति रस अनायास प्राप्त हो जाता है। जो मनुष्य प्रतिदिन भागवत पुराण का पाठ करता है, उसे एक-एक अक्षर के उच्चारण के साथ कपिला गोदान देने का पुण्य होता है।
जो प्रतिदिन भागवत के आधे श्लोक या चौथाई श्लोक का पाठ अथवा श्रवण करता है, उसे एक हजार गोदान का फल मिलता है। जो प्रतिदिन पवित्र चित्त होकर भागवत के एक श्लोक का पाठ करता है, वह मनुष्य अठारह  पुराणों के पाठ का फल पा लेता है। जिसके घर में एक श्लोक, आधा श्लोक अथवा श्लोक का एक ही चरण लिखा रहता है, उसके घर में मैं निवास करता हूं।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
Latest News

Shardiya Navratri 6th Day: नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित, जानिए पूजा विधि

Shardiya Navratri 6th Day: शारदीय नवरात्रि के छठे दिन आदिशक्ति की छठवें स्‍परूप मां कात्‍यायनी की पूजा की जाती...

More Articles Like This

Exit mobile version