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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सत्कर्म सद्भाव से करोगे तभी शान्ति प्राप्त कर सकोगे। किसी के प्रति बुरे भाव रखकर किया गया सत्कर्म, सत्कर्म न रहकर दुष्कर्म बन जाता है।
सत्कर्म के पीछे अत्यन्त सद्भाव होगा, तभी सफलता प्राप्त होगी। ठाकुर जी की पूजा करने के बाद सम्पूर्ण विश्व के कल्याणार्थ सद्भावपूर्ण प्रार्थना करने से परमात्मा बहुत प्रसन्न होंगे। आप अपने बाल बच्चों का शुभ चाहोगे तो भी परमात्मा नाराज नहीं होंगे, किन्तु यदि अपने किसी भी दुश्मन के बच्चे का अहित चाहोगे तो प्रभु आप पर खूब नाराज होंगे।
कारण यह है कि तुम्हारे दुश्मन के बालक भी प्रभु के ही बालक हैं। हम प्रभु के सामने यदि प्रभु के ही बालकों का अहित चाहेंगे तो वह इसे कैसे सहन कर सकेंगे। याद रखो, दक्ष के यज्ञ के सामान दूसरे के लिए कुभाव से किया गया सत्कर्म चाहे जितना भी उच्च हो, तो भी कुफल प्रदान करने वाला ही सिद्ध होता है।
व्यवसाय करते समय धर्म को भूल मत जाना। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।