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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जहाँ भेद-बुद्धि होती है, वही भय दिखाई देता है। मथुरा पर कंस का जब तक आधिपत्य रहा, तब तक वहां की जनता को सुख प्राप्त नहीं हुए। उस पीड़ित प्रजा को शक्ति प्रदान करने के लिए ही श्री कृष्ण ने कंस को सत्ता से हटाया था।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह कंस कौन है? अस्ति और प्राप्ति नमक दो पत्नियों का पति कंस है। अस्ति अर्थात् बैंक या तिजोरी का बेलैन्स और प्राप्ति अर्थात् कमाई। मेरे पास इतने रुपए हैं एवं उसको बढ़ाने के लिए मुझे और कमाई करनी है- ये विचार जिसके मन में हमेशा घूमा करता हैं, ऐसे लोभी एवं धन-प्राप्ति के लिए न्याय-अन्याय का विचार न करने वाले व्यक्ति को कंस कहते हैं।’
कं ‘ का अर्थ सुख और ‘ स ‘ का अर्थ संहार है। धन प्राप्त करने एवं उसे बढ़ाने के लिए अन्याय का आचरण करने वाला तथा अपने सभी सुखों का स्वयं ही नाश करने वाला कंस ही है। ऐसे व्यक्ति के जीवन में शान्ति असम्भव है, क्योंकि अन्याय पूर्वक कमाया गया धन ही जीवन में अशान्ति पैदा करता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।