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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, स्वयं के हृदय में ही आनन्दकन्द परमात्मा की अत्यन्त निकटता का सतत अनुभव करने वाले भक्तों का हृदय हमेशा सद्भावना से लबालब भरा रहता है। ऐसे ज्ञानी महापुरुष तो अपने निंदक में भी नारायण के दर्शन करते हैं और दुश्मन में भी स्वयं के दयानिधि का सानिध्य अनुभव करते हैं।
इसीलिए उनके हृदय में किसी के प्रति तनिक भी ईर्ष्या या दुश्मनी नहीं होती।किसी को थोड़ा सा धन मिल जाए तो भी वह आनन्द और खुशी से नाचने लगता है, फिर इन महापुरुषों को तो साक्षात् लक्ष्मीनारायण ही मिल जाते हैं। भला इनको फिर दुःख क्यों हो।
जिसका स्वभाव सुधरता है, उसका संसार सुधरता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।