जिसके पास बैठने मात्र से शान्ति का अनुभव हो, वही है सच्चा संत: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चिन्ता नहीं चिन्तन- श्रीनारदजी भगवान के परम भक्त हैं। भगवान के दास हैं। वे उदास कभी नहीं रहते। भगवान का दास होकर उदास रहे तो फिर भक्ति और विश्वास कहां? भक्तिमार्ग की रीति है कि जो प्रभु का हो गया उसके लिये चिन्ता करना दोष है। भक्तिमार्गी को चिन्तन करना चाहिए, चिंता नहीं। श्री कबीर दास जी महाराज एक दोहे में कहते हैं-
चिन्ता तो हरि नाम की और न चिन्ता दास।
जो कछु चितवे राम बिनु, सोई काल के पास।।
चिन्ता तो चिता के समान है। चिता तो मुर्दे को जलाती है लेकिन चिन्ता तो जिन्दे को जला देती है। भगवान का दास सदैव आनन्द में रहता है। वह कभी उदास नहीं होता, कभी उग्र नहीं होता, कभी व्यग्र नहीं होता, वह शान्त रहता है। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने संयम को नहीं खोता। ऐसे शान्त महापुरुष का संग हमे शान्ति देता है। जिसके पास बैठने मात्र से शान्ति का अनुभव हो, व्यग्रता, उग्रता सब समाप्त हो जाय, वही सच्चा संत होता है। उसके दास के दास हम बनें।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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