मनुष्यों का अच्छाई से विश्वास उठाना ही है संसार का सबसे बड़ा संकट: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अतिशय देखि धर्म कै ग्लानी। परम सभीत धरा अकुलानी।। धरती पर मनुष्यों को लगने लगे कि अब हमारा कोई रखवाला नहीं है। सर्वत्र अंधकार दिखाई दे रहा है। अब क्या होगा ?  लोगों का जीवन मूल्यों पर से ही विश्वास उठने लगा। उन्हें लग रहा है कि जीवन में सफलता प्राप्त करनी है तो बुराई के मार्ग पर ही चलना होगा। मनुष्यों का अच्छाई से,  जीवन मूल्यों से, विश्वास उठाना ही संसार का सबसे बड़ा संकट है।
‘धर्म अथवा सत्य के मार्ग पर चलते हुए भी सफलता प्राप्त की जा सकती है ‘ इस सूत्र पर लोगों का विश्वास होना चाहिए। तभी संसार में नीतिमत्ता टिक सकती है। इस कारण सज्जनों को संसार में यश सम्पादन कर दिखाना चाहिए। सज्जन की विफलता धर्म की दुर्बलता है। एक सज्जन के सफल होने से दस लोगों को प्रेरणा मिलती है। अंततः यह संसार सफलता का पूजक है। धर्मशास्त्रों में गौ माता धरती का प्रतीक है। गौ माता इस धरती का आधिदैविक रूप हैं।
इसी कारण जब-जब धरती भगवान से प्रार्थना करती है, उनका आह्वान करती है, तब वह गोरूप धारण करती है। प्रत्येक पदार्थ के तीन रूप होते हैं। आध्यात्मिक रूप, आधिभौतिक रूप और आधिदैविक रूप। गंगा माता का दिखाई देने वाला प्रवाह आधिभौतिक रूप है। किन्तु गंगा माता का आधिदैविक रूप मकरवाहिनी भगवती देवी है। हमें जो अनुग्रह अथवा कृपा होती है, वह इस आधिदैविक रूप से होती है। ऐसा प्रत्येक पदार्थ के सम्बन्ध में है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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