Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अनेक पाप करके पुत्र के लिए लाखों की सम्पत्ति इकट्ठा करने वाले बाप का अंतकाल में बेटा भी सहायक नहीं बन सकता। उस वक्त बाप के प्राण तो तीव्र वेदना का अनुभव करते हैं और बेटा बाप के धन-दौलत की वसीयत करने की फिक्र में रहता है।
इसलिए संसार के स्वार्थमय सम्बन्ध प्रारम्भ में चाहे जितने मीठे लगते हों, किन्तु परिणाम में हलाहल जहर ही सिद्ध होते हैं। अन्तकाल में तो एकमात्र प्रभु और परोपकार के साथ जुड़ा प्रेम-सम्बन्ध ही रक्षक बनता है और बाकी के सम्बन्ध तो स्वार्थ-पूर्ण होते हैं। जो अन्त में धोखा देने वाले सिद्ध होते हैं।
इसलिए अब यदि सम्बन्ध बाँधो तो सांवरिया के साथ ही बाँधो। ईश्वर की उपासना ऋद्धि-सिद्धि के लिए नहीं, बल्कि हृदय की शुद्धि के लिए करो।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना।