भारत अब तेजी से अपने रिन्यूएबल एनर्जी ट्रांजिशन के अगले चरण में कर रहा प्रवेश

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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केंद्र सरकार द्वारा बुधवार को जारी जानकारी के अनुसार, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा पहल अब केवल क्षमता में तेजी से वृद्धि पर नहीं, बल्कि एक मजबूत, डिस्पैचेबल और इंटीग्रेटेड ऊर्जा प्रणाली के निर्माण पर केंद्रित हो रही है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि देश अब अपने रिन्यूएबल एनर्जी ट्रांजिशन के अगले चरण में प्रवेश कर रहा है,

जहां प्राथमिकता सिस्टम की मजबूती और स्थिरता को दी जा रही है. नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रेस बयान में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में भारत का रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर अपनी स्थिरता, मजबूती और गहराई के आधार पर परिभाषित होगा.

पिछले 10 वर्षों में पांच गुना से भी अधिक बढ़ी भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता

मंत्रालय के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता पांच गुना से भी अधिक बढ़ी है, जो 2014 में 35 गीगावाट से बढ़कर आज 197 गीगावाट से अधिक हो गई है और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता हासिल करने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही है.

बयान में कहा गया है, हम अब ग्रिड इंटीग्रेशन, एनर्जी स्टोरेज और बाजार सुधारों पर काम कर रहे हैं, जो 500 गीगावाट से अधिक के गैर-जीवाश्म भविष्य की वास्तविक नींव हैं. 40 गीगावाट से अधिक आवंटित परियोजनाएं बिजली खरीद समझौतों (पीपीए), बिजली आपूर्ति समझौतों या ट्रांसमिशन अरेंजमेंट के पूरा होने के करीब हैं.

हाल ही में केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने क्रमशः 5.6 गीगावाट और 3.5 गीगावाट की क्षमता वाले नए टेंडर जारी किए हैं. इसके अलावा, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं द्वारा वर्ष 2025 में लगभग 6 गीगावाट अतिरिक्त क्षमता जोड़ने का अनुमान है.

इस प्रकार, भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि विभिन्न माध्यमों से निरंतर हो रही है. प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत हर साल 15 से 25 गीगावाट नई नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ता जा रहा है, जो दुनिया में सबसे तेज़ वृद्धि दरों में से एक है.

ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और नई उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनें तैयार

इसके अलावा, जीएसटी स्ट्रक्चर और एएलएमएम प्रावधानों का पुनर्निर्धारण लागतों को स्थिर करने, मॉड्यूल विश्वसनीयता बढ़ाने और भारत के मैच्योर होते सोलर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में पैमाने की दक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. भारत के बिजली ग्रिड को अब 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य के अनुरूप 2.4 लाख करोड़ रुपए की ट्रांसमिशन योजना के तहत पुनर्परिभाषित किया जा रहा है.

इस योजना का उद्देश्य ऊर्जा-समृद्ध राज्यों को प्रमुख मांग केंद्रों से जोड़ना है. प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और नई उच्च क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनें तैयार हैं, जो देश को 200 गीगावाट से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने में मदद करेंगी.

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