विदेशी निवेश में तेजी जारी, FPI ने मई में की ₹14,256 करोड़ की खरीदारी

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ संघर्ष जैसी चुनौतियों के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के लिहाज से बीते 8 महीने में मई सबसे अच्छा साबित हुआ है. इस महीने अभी तक विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 14,256 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की है, जो सितंबर 2024 के बाद सबसे अधिक है. भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम, अमेरिका के साथ व्यापार करार की उम्मीद और थोक सौदों में तेजी से विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ा है. इसके अलावा, दुनिया भर की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में नरमी से उभरते बाजारों में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला.
हालांकि, ताइवान और ब्राजील जैसे बाजारों में भारत की तुलना में अधिक निवेश हुआ है. मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में संस्थागत इक्विटी के शोध प्रमुख गौतम दुग्गड़ (Gautam Duggad) ने कहा, ‘व्यापार शुल्क की चिंता में बाजार को शुरुआती दौर में झटका लगा था मगर इसके बाद स्थिरता आई. मार्च में भारी बिकवाली और चौथी तिमाही में कंपनियों के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहने से शेयरों का मूल्यांकन भी अप्रैल में आकर्षक हो गया.’अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच एफपीआई शुद्ध बिकवाल थे और इस दौरान उन्होंने 2.2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे. मगर अप्रैल के मध्य से विदेशी निवेशक शेयर बाजार में शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं.
मॉर्गन स्टैनली में रणनीतिकार रिधम देसाई और नयंत पारेख ने 20 मई को एक नोट में लिखा, ‘वर्ष 2000 के बाद से विदेशी पोर्टफोलियो की पोजीशन सबसे कम है और ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारत के प्रति उनका नजरिया बदल रहा है.’अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा जवाबी शुल्कों को 90 दिनों तक टालने की घोषणा के बाद अमेरिकी व्यापार शुल्क के बारे में चिंता कम होने से भी भारत में विदेशी पोर्टफोलियो का निवेश बढ़ा है. हालांकि, भारत और पाकिस्तान के बीच सशस्त्र संघर्ष से बाजार में भारी उठापटक देखी गई.
9 मई को विदेशी निवेशकों ने 3,799 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विदेशी निवेशकों द्वारा 11 अप्रैल के बाद यह पहली बिकवाली थी. हालांकि, तनाव कम होने के बाद एफपीआई वापस शुद्ध लिवाल बन गए. विदेशी निवेशकों का प्रवाह और घरेलू निवेशकों की खरीदारी से शेयर बाजार अप्रैल के अपने निचले स्तर से करीब 10 फीसदी मजबूत हुआ है. हालांकि पिछले हफ्ते एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे। निवेशक ट्रंप के कर विधेयक के प्रभाव को लेकर भी चिंतित थे. कर और व्यय पैकेज से अगले दशक में अमेरिकी सरकार के कुल 36.2 लाख करोड़ डॉलर कर्ज में करीब 3.8 लाख करोड़ डॉलर और जुड़ जाएगा। मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटा दी है.
विशेषज्ञों ने कहा, अगर अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में इजाफा नहीं होता है, तो भारत में एफपीआई निवेश और बढ़ सकता है. पिछले हफ्ते 30 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड बढ़कर अक्टूबर 2023 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. बॉन्ड यील्ड बढ़ने से निवेशक उभरते बाजारों से अपना निवेश निकालकर कम जोखिम वाले बॉन्ड में निवेश करते हैं. आगे अमेरिका और अन्य उभरते बाजारों के साथ व्यापार सौदे काफी हद तक एफपीआई प्रवाह की दिशा निर्धारित करेंगे.
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