Human Civilization: आमतौर पर दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं की जब बात होती है, तो हड़प्पा यानी सिंधु घाटी सभ्यता और सुमेरियन सभ्यताओं के नाम ही लिए जाते है. लेकिन हाल ही में ऐसी कई खोज सामने आई है, जिसके बाद कयास लगाये जा रहे है कि इन सभ्यताओं से पुरानी सभ्यताएं भी पृथ्वी पर मौजूद हैं.
दरअसल, हिंद महासागर में भी कुछ ऐसी ही खोज की गई है, जिससे ऐसी सभ्यता के बारे में जानकारी मिली है जो सिंधु घाटी सभ्यता और सुमेरियन सभ्यताओं से भी सदियों पुरानी हो सकती हैं. ऐसा भी हो सकता है कि मानव सभ्यता की जड़ें हमारी कल्पना से कहीं ज़्यादा पुरानी हों.
2 दशक से पहले हुई थी खोज
रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी भारत की समुद्र तट पर पानी के अंदर एक रहस्यमयी स्थल के बारे में पता चला है, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि ये प्राचीन स्थल सभ्यताओं के अध्याय को एक बार फिर से लिख सकता है. हालांकि शोधकर्ताओं ने दो दशकक पहले ही खंभात की खाड़ी की गहराई में इस स्थल की खोज की थी. लेकिन इसके तथ्य को न कभी पूरी तरह से स्वीकार किया गया है और न ही अस्वीकार. वहीं, अब एक बार फिर से इस सभ्यता को लेकर चर्चा जोरो पर है.
पानी के 120 फीट नीचे मिला शहर
बता दें कि साल 2000 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) ने नियमित प्रदूषण सर्वे के दौरान भारत के पश्चिमी तट से दूर खंभात की खाड़ी में एक महत्वपूर्ण खोज की थी. उस वक्त सोनार तकनीक ने समुद्र के भीतर तल पर ज्योमेट्रिक संरचनाएं दिखाई थीं. ये संरचनाएं एक डूबे हुए शहर के अस्तित्व की ओर इशारा कर रही थीं, जो पानी के 120 फीट नीचे स्थित है.
9,500 साल पुरानी कलाकृतियां
वहीं, इस कथित शहर की लंबाई 5 मील और चौड़ाई 2 मील तक होने का अनुमान लगाया गया है. इस जगह से मिट्टी के बर्तन, मोती, मूर्तियां और मानव अवशेष जैसी कई चीजें मिली थीं. ऐसे में जब इनकी कार्बन-डेटिंग की गई तो पता चला कि ये कलाकृतियां करीब 9,500 साल पुरानी हैं. जिससे माना जा रहा है कि ये सिंधु घाटी सभ्यता से पहले की चीजें हैं.
विशेषज्ञों की क्या है राय?
वहीं, रिपोर्ट के अनुसार, NIOT की वैज्ञानिक टीम के डॉ. बद्रीनारायण का कहना है कि ये अवशेष बीते हिमयुग के अंत में समुद्र के जलस्तर के बढ़ने के कारण डूबी हुई सभ्यता का संकेत देते हैं जो कि काफी उन्नत थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हड़प्पा सभ्यता समुद्र के भीतर की इसी सभ्यता से उतरी होगी. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने इस दावे पर सवाल भी उठाए हैं. उन्होंने संभावना जताई कि कुछ कलाकृतियां प्राचीन नदियों द्वारा ले जाई गई होंगी. साथ ही कार्बन डेटिंग की विश्वसनीयता के बारे में भी चिंता जताई गई है.
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