वैश्विक अर्थव्यवस्था दबाव में, लेकिन भारत की रफ्तार बरकरार: डब्ल्यूईएफ

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ताजा रिपोर्ट में दुनिया भर के प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर गंभीर दबाव आ सकता है, लेकिन भारत और दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था उम्मीद की किरण बनी हुई है. डब्ल्यूईएफ की ‘चीफ इकोनॉमिस्ट्स आउटलुक’ रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि की उम्मीद जताई गई है, जिसमें भारत को 2025 और 2026 के लिए प्रमुख विकास इंजन बताया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भले ही वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े जोखिम बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था इन चुनौतियों के बीच भी मजबूती से आगे बढ़ रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% रहने का अनुमान जताया है. डब्ल्यूईएफ के अनुसार, भारत और यूके के बीच हुए हालिया व्यापार समझौते ने दक्षिण एशिया में निवेशकों को नई उम्मीद दी है. हालांकि, चीन से निर्यात मार्गों में बदलाव और भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव से क्षेत्रीय चुनौतियां भी बनी हुई हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 87% अर्थशास्त्रियों को लगता है कि अमेरिका की मौजूदा आर्थिक नीति वैश्विक व्यापार पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगी और इससे मंदी का खतरा बढ़ सकता है. यह नीति कंपनियों के लिए रणनीतिक फैसले लेने में देरी का कारण बन रही है. उत्तर अमेरिका में आर्थिक विकास की संभावना कमजोर दिख रही है, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मजबूती है और यूरोप में धीमी लेकिन सकारात्मक गति बनी हुई है. चीन को लेकर अर्थशास्त्रियों की राय बंटी हुई है—कुछ का मानना है कि वह 5% वृद्धि का लक्ष्य हासिल करेगा, जबकि अन्य इसे मुश्किल मानते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में महंगाई मध्यम से लेकर अधिक स्तर पर रह सकती है. साथ ही, 86% अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बढ़ते रक्षा खर्च के चलते सरकारें ज्यादा कर्ज लेंगी, जिससे सार्वजनिक सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर पर असर पड़ सकता है. AI को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया रही. 46% अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि अगले 10 वर्षों में AI वैश्विक GDP में 0-5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि कर सकता है, जबकि 35% का अनुमान है कि यह 5-10 अंकों की बढ़त दे सकता है. हालांकि, 47% विशेषज्ञों को लगता है कि इससे नौकरियों में शुद्ध कमी आएगी.
AI के सबसे बड़े खतरे के रूप में ‘गलत जानकारी का प्रसार’ और ‘सामाजिक अस्थिरता’ को देखा गया है. इसके अलावा, बाजार में कुछ कंपनियों का अत्यधिक वर्चस्व और पारंपरिक व्यवसाय मॉडल का टूटना भी प्रमुख चिंताएं हैं. डब्ल्यूईएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर सादिया जाहिदी ने कहा, “नीतिगत तालमेल, रणनीतिक चतुराई और AI जैसे परिवर्तनकारी तकनीकों में निवेश जरूरी है ताकि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से पार पाया जा सके और लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता बनी रहे.”
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