देश में हाल ही में हुए जीएसटी (GST) सुधारों से ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC)के संचालन में तेजी आने की संभावना है. रविवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि इन सुधारों से भारत में मौजूद GCC की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी. साथ ही, इससे लागत संरचना में सुधार होगा और कंपनियों के कैश फ्लो में भी बढ़ोतरी देखी जाएगी. विशेषज्ञों के मुताबिक, 2017 में GST लागू होने के बाद 56वीं GST काउंसिल बैठक में हुए सुधार अब तक के सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक हैं, जो भारत को वैश्विक GCC हब के रूप में उभारने में सहायक होंगे.
IGST अधिनियम में बदलाव से GCC को मिलेगा राहत का रास्ता
ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले जीसीसी द्वारा विदेशी सहयोगियों को दी जाने वाली सेवाओं को अकसर मध्यस्थ वर्गीकरण के जोखिम का सामना करना पड़ता था, जिससे विवाद की स्थिति बनती थी और सेवाओं पर GST लगाया दिया जाता था. वहीं, जीसीसी को निर्यात के फायदों से वंचित कर दिया जाता था. रिपोर्ट में बताया गया, IGST अधिनियम की धारा 13(8)(बी) के हटने से, ऐसी सेवाओं के लिए आपूर्ति का स्थान अब प्राप्तकर्ता के स्थान के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
GST सुधारों से भारतीय GCC को मिलेगा बड़ा फायदा
इससे यह सुनिश्चित होगा कि विदेशों में वितरित सेवाओं को निर्यात माना जाएगा और वे शून्य-रेटिंग और आईटीसी रिफंड के लिए पात्र होंगी. हालिया GST सुधारों से कारोबार जगत में निश्चितता और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि की उम्मीद है. इससे कंपनियों को लंबी मुकदमेबाजी से राहत मिल सकती है. रिपोर्ट के अनुसार, यह संशोधन भारतीय ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) के लिए भी लाभदायक होगा, क्योंकि अब मध्यस्थ कार्यों को भारतीय जीसीसी को हस्तांतरित करने का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे नई विकास संभावनाएं पैदा होंगी.
दरों में बदलाव से GCC सेक्टर पर मिला-जुला असर
56वीं GST काउंसिल बैठक में कई वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स दरों में बदलाव किया गया है. इसमें एयर कंडीशनर और मॉनिटर पर GST दरों में कटौती की गई है, जबकि यात्री परिवहन, मोटर वाहन किराया और हवाई परिवहन सेवाओं (इकोनॉमी क्लास को छोड़कर) पर टैक्स दरें बढ़ाई गई हैं. रिपोर्ट में बताया गया, जीसीसी के लिए, इसका सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, यह खरीदी गई वस्तुओं/सेवाओं की प्रकृति और ITC की पात्रता पर निर्भर करेगा। अनंतिम आधार पर 90% रिफंड स्वीकृत करने से संबंधित प्रावधान पहले से ही मौजूद था. हालांकि, मैन्युअल हस्तक्षेप के कारण, कार्यान्वयन प्रभावी नहीं था.
तेजी से रिफंड और जोखिम-आधारित मूल्यांकन से GST सिस्टम होगा प्रभावी
रिपोर्ट में कहा गया है कि जोखिम-आधारित पहचान और रिफंड दावों के मूल्यांकन से जुड़े प्रस्तावित प्रावधानों के माध्यम से GST सुधारों का प्रभावी कार्यान्वयन संभव होगा. ये नए नियम और प्रक्रियाएं 1 नवंबर, 2025 से लागू की जाएंगी. विशेषज्ञों का मानना है कि तेज और जोखिम-आधारित रिफंड प्रक्रिया से कंपनियों पर कार्यशील पूंजी (Working Capital) का दबाव घटेगा और कैश फ्लो में उल्लेखनीय सुधार होगा. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCC) की संख्या 2030 तक 1,700 से बढ़कर 2,200 से अधिक होने की संभावना है.
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