पिछले 10 वर्षों में 40 गुना से अधिक बढ़कर 129 गीगावाट हुई भारत की सौर ऊर्जा क्षमता

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
केंद्र सरकार के अनुसार, भारत की सौर ऊर्जा की प्रगति टारगेटेड पॉलिसी, टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से देश के ऊर्जा परिदृश्य को बदलने का उत्कृष्ट उदाहरण है. सौर ऊर्जा न केवल भारत के रिन्यूएबल पावर मिक्स की रीढ़ है, बल्कि यह सतत आर्थिक विकास, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु नेतृत्व के लिए भी एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पिछले दस वर्षों में सौर ऊर्जा इंस्टॉलेशनों में वृद्धि ने भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता को दोगुना करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 2014 के 3 गीगावाट से 2025 में 40 गुना से अधिक बढ़कर 129 गीगावाट हो गई है. इसी के साथ गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता 259 गीगावाट को पार करने के साथ अक्टूबर 2025 तक देश की कुल स्थापित बिजली क्षमता 500 गीगावाट के 50% से भी अधिक हो गई है. आईआरईएनए रिन्यूएबल एनर्जी स्टैटिस्टिक्स 2025 के अनुसार, भारत सौर ऊर्जा में तीसरे, पवन ऊर्जा और कुल इंस्टॉल्ड रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में चौथे पायदान पर अपनी जगह बनाता है. भारत की यह रैंकिंग ग्लोबल क्लीन एनर्जी में देश की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है.
भारत ग्रीन ट्रांजिशन को आगे बढ़ाने के लिए पंचामृत फ्रेमवर्क के तहत अपना रोडमैप पेश करता है. इस फ्रेमवर्क में पांच प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं. पहला लक्ष्य 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित स्थापित बिजली क्षमता हासिल करना है, जिसमें सोलर, विंड, बायोमास, हाइड्रो और न्यूक्लियर एनर्जी शामिल हैं. इस लक्ष्य का उद्देश्य भारत के बिजली मिश्रण में क्लीन एनर्जी का हिस्सा बढ़ाना है. दूसरा लक्ष्य 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोत से स्थापित बिजली क्षमता का 50% हिस्सा प्राप्त करना है, ताकि ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाई जा सके और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम हो.
तीसरा, 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 अरब टन की कमी लाना है. यह क्लीन एनर्जी और बेहतर क्षमता उपायों के जरिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है. चौथा लक्ष्य 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 2005 के स्तर की तुलना में 45 प्रतिशत कम करना है, जिससे ऊर्जा दक्षता, लो-कार्बन तकनीक और सतत औद्योगिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा. अंत में, पांचवां लक्ष्य 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करना है. इसका उद्देश्य उत्सर्जन को कार्बन हटाने के उपायों के साथ संतुलित करना है, ताकि सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके.
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