India-UK Relations: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से बुधवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, नीति निर्माताओं, डोमेन एक्सपर्ट्स, शिक्षाविदों और उद्योग प्रतिनिधियों ने एक सेमीनार में भारत-यूके व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (CETA) के बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) प्रावधानों से जुड़े अवसरों और चिंताओं पर विचार-विमर्श किया.
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग ने सेंटर फॉर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लॉ (CTIL) के सहयोग से वाणिज्य भवन में भारत-यूके सीईटीए में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) अध्याय का रहस्य उजागर विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें इस बात पर जोर दिया गया किबौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) अध्याय इनोवेशन को बढ़ावा देने और पहुंच सुनिश्चित करने के बीच एक संतुलित संतुलन बनाता है.
पेटेंट प्रक्रियाओं के सामंजस्य पर चिंताओं का समाधान
साथ ही सेमिनार में ये भी कहा गया कि ये प्रावधान भारत के आईपी फ्रेमवर्क का आधुनिकीकरण करते हुए जन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत करते हैं. इस दौरान पेटेंट प्रक्रियाओं के सामंजस्य पर चिंताओं का समाधान किया गया. ऐसे में विशेषज्ञों ने कहा कि ये प्रक्रियात्मक सुधार हैं, जो किसी भी तरह से भारत की नियामक स्वायत्तता को प्रभावित नहीं करते. इससे स्टार्टअप्स, एमएसएमई और ट्रेडिशनल प्रोड्यूसर सभी को समान रूप से लाभ होगा.
भारतीय भौगोलिक संकेतकों के लिए मजबूत संरक्षण पर भी जोर
इसके अलावा, सेमिनार में भारत-ब्रिटेन व्यापार वार्ता में भारतीय भौगोलिक संकेतकों के लिए मजबूत संरक्षण पर भी जोर दिया गया. पैनल ने समझौते से जुड़ी कई भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि आईपीआर अध्याय भारत की नीतिगत संभावनाओं को सीमित नहीं करता बल्कि, यह भारत की अपनी विकासात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप नियम बनाने की क्षमता को मजबूत करता है. उन्होंने कहा कि यह अध्याय भारत के मौजूदा कानूनी ढांचे को दर्शाता है और वैश्विक साझेदारों और निवेशकों को एक मजबूत और दूरदर्शी बौद्धिक संपदा व्यवस्था के प्रति देश की प्रतिबद्धता का सकारात्मक संकेत देता है.
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