उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर ही ऑयल और गैस आयात पर फैसला लेगा भारत

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत ने स्पष्ट किया है कि ऊर्जा बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच देश का तेल और गैस आयात से संबंधित निर्णय केवल उपभोक्ताओं के हितों को सर्वोपरि रखते हुए लिया जाएगा. यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के कुछ ही घंटे बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिया है कि भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद को कम करेगा.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत तेल और गैस का एक बड़ा आयातक है और ऊर्जा बाजार में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. हमारी आयात नीतियाँ पूरी तरह से इस उद्देश्य के तहत बनाई गई हैं. स्थिर ऊर्जा मूल्य और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करना हमारी ऊर्जा नीति के दो मुख्य लक्ष्य हैं. इसके तहत हम ऊर्जा स्रोतों का व्यापक आधार तैयार करने और बाजार की परिस्थितियों के अनुसार विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
बयान में आगे कहा गया है कि जहां तक अमेरिका का सवाल है, हम कई वर्षों से अपनी ऊर्जा खरीद को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और पिछले दशक में इसमें निरंतर प्रगति हुई है. वर्तमान प्रशासन ने भारत के साथ ऊर्जा सहयोग को मजबूत करने में रुचि दिखाई है, जिस पर बातचीत जारी है.
इससे पहले, बुधवार को वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले सात-आठ वर्षों में अमेरिका से ऊर्जा खरीद (मुख्यतः कच्चे तेल) 25 अरब डॉलर से घटकर लगभग 12-13 अरब डॉलर रह गई है. इसलिए, लगभग 12-15 अरब डॉलर की गुंजाइश है, जिसे हम रिफाइनरियों की संरचना की चिंता किए बिना खरीद सकते हैं.
उन्होंने बताया, यह एक द्विपक्षीय प्रतिबद्धता है, और हमारी बातचीत में हमने बहुत सकारात्मक संकेत दिया है कि एक देश के रूप में भारत ऊर्जा आयात के मामले में अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाना चाहेगा. भारत जैसे बड़े खरीदार के लिए यह सबसे अच्छी रणनीति है.
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