भारत के कंज्यूमर और रिटेल सेक्टर में 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई–सितंबर) के दौरान डील गतिविधियों में उल्लेखनीय उछाल देखा गया. इस अवधि में कुल 132 लेनदेन दर्ज किए गए, जिनकी कुल वैल्यू 3.4 अरब डॉलर रही. 2024 की समान तिमाही की तुलना में, डील वॉल्यूम में 6% और वैल्यू में 9% की वृद्धि दर्ज की गई. इन आंकड़ों में सार्वजनिक बाजार गतिविधियां भी शामिल हैं. ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की कंज्यूमर एंड रिटेल डीलट्रैकर रिपोर्ट के अनुसार, यदि सार्वजनिक बाजार सौदों को अलग कर दिया जाए, तो विलय और अधिग्रहण (M&A) तथा निजी इक्विटी (PE) सौदों की कुल संख्या 121 रही, जिनकी संयुक्त वैल्यू 2.3 अरब डॉलर थी। यह तिमाही आधार पर वैल्यू में 168% की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि यह उछाल 10 करोड़ डॉलर से अधिक की पांच हाई-वैल्यू डील और 1 करोड़ डॉलर से अधिक की 26 डील के कारण दर्ज किया गया, जिनका कुल योगदान 2 अरब डॉलर और कुल डील वैल्यू का 89% था. यह जो पैमाने, ब्रांड की मजबूती और विकासोन्मुखी उपभोक्ता व्यवसायों में निवेशकों के मजबूत विश्वास को दर्शाता है. ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर और कंज्यूमर इंडस्ट्री लीडर, नवीन मालपानी ने कहा, तीसरी तिमाही भारत के कंज्यूमर और रिटेल सेक्टर के लिए एक निर्णायक उछाल लेकर आई, जिसमें डील की संख्या बढ़कर 132 हो गई और मूल्य 3.4 अरब डॉलर को पार कर गए, जो पिछली तिमाही की तुलना में करीब चार गुना अधिक है.
आउटबाउंड विलय और अधिग्रहण में भी देखी गई तेजी
यह सुधार कपड़ा, परिधान और सहायक उपकरणों पर निवेशकों के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने और फूड प्रोसेसिंग एवं ई-कॉमर्स में निरंतर गतिविधि के कारण हुआ. मालपानी ने आगे कहा कि इस तिमाही में आउटबाउंड विलय और अधिग्रहण में भी तेजी देखी गई, जिसमें भारतीय कंज्यूमर प्लेयर्स प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करने और वैश्विक उपस्थिति को मजबूत करने के लिए सीमा पार अधिग्रहण कर रहे हैं. कपड़ा, परिधान और सहायक उपकरण 2025 की तीसरी तिमाही में निवेश का मुख्य केंद्र बने रहे, जिससे इन क्षेत्रों में उल्लेखनीय विलय एवं अधिग्रहण और निजी इक्विटी प्रवाह देखने को मिला. वहीं, फूड प्रोसेसिंग और ई-कॉमर्स सेक्टर को त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग, ऑनलाइन बिक्री में तेजी और क्विक कॉमर्स की लोकप्रियता से अतिरिक्त लाभ मिला.
सार्वजनिक बाजार गतिविधियों में देखा गया उल्लेखनीय सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही में औसत डील साइज 7.2 मिलियन डॉलर से बढ़कर 18.8 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो मूल्य-आधारित लेनदेन की ओर रुझान को दर्शाता है. यह परिवर्तन बड़े, पूंजी-गहन सौदों और पूरे क्षेत्र में चुनिंदा रणनीतिक निवेशों की ओर इशारा करता है. इसके अलावा, 2025 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक बाजार गतिविधियों में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया. इस दौरान छह आईपीओ और पांच क्यूआईपी के माध्यम से 1.1 अरब डॉलर से अधिक की राशि जुटाई गई। यह वॉल्यूम के लिहाज से 5.5 गुना और वैल्यू के मामले में 2025 की दूसरी तिमाही के 36 मिलियन डॉलर की तुलना में कई गुना वृद्धि को दर्शाता है.