भारत का डिजिटल फोरेंसिक मार्केट (Digital Forensics Market) FY29-30 तक लगभग 40% की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (CAGR) के साथ 11,829 करोड़ रुपए (1.39 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है, जो ग्लोबल एवरेज 11% से तीन गुना अधिक है. गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. अब मोबाइल फोरेंसिक इस सेक्टर पर हावी है, जो मार्केट के करीब 51% हिस्से पर अधिकार रखता है. स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल, डिजिटल पेमेंट और मोबाइल-सेंट्रिक साइबर क्राइम में उछाल के कारण इस सेक्टर में मोबाइल फोरेंसिक की हिस्सेदारी बढ़ रही है.
81% मांग सार्वजनिक क्षेत्र, विशेष रूप से कानून प्रवर्तन विभाग की ओर से आ रही है. डेलोइट इंडिया की डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) के सहयोग से बनाई गई रिपोर्ट जटिल डिजिटल खतरों से निपटने के लिए फोरेंसिक टेक पर बढ़ती निर्भरता को उजागर करती है. भारत डिजिटल फोरेंसिक में निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल विश्वास के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में भी बढ़ा रहा है.
इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को पेश करने के लिए RGW रिपोर्ट, स्वदेशी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) को बढ़ावा देने पर केंद्रित, एक रणनीतिक रोडमैप की सिफारिश करती है. यह आयात निर्भरता को कम करने, 90,000 फोरेंसिक प्रोफेशनल्स की अनुमानित कमी को पूरा करने के लिए एजुकेशन एंड सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का विस्तार करने, एडवांस लैब्स और रिजनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाने के लिए जरूरी है.
भारत में डेलॉइट के फोरेंसिक प्रैक्टिस का नेतृत्व करने वाले निखिल बेदी ने कहा, इस विकसित परिदृश्य में, फाइनेशियल फ्रॉड और डेटा ब्रीच से लेकर जटिल क्रॉस-बॉर्डर अटैक तक डिजिटल फोरेंसिक एक रिएक्टिव टूल से एक रणनीतिक क्षमता में बदल गया है. यह डिजिटल ट्रस्ट की सुरक्षा, महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने और अनुपालन का समर्थन करने के लिए आवश्यक है.
यह सेक्टर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो बढ़ती औद्योगिक मांग, नियामक जांच और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट की वजह से आगे बढ़ रहा है. डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (DSCI) के सीईओ विनायक गोडसे (Vinayak Godse) ने कहा कि डिजिटल-फर्स्ट इकोनॉमी के रूप में भारत की यात्रा ने अपार अवसर पेश किए हैं. लेकिन, इससे साइबर अपराधियों के बढ़ने की भी परेशानी पैदा हुई है.