भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को प्राइवेट कैपेक्स से मिलेगा बढ़ावा

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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बेहतर प्राइवेट कैपिटल खर्च और मजबूत उपभोक्ता मांग के चलते भारत का मिड-टर्म आर्थिक ग्रोथ आउलुक सकारात्मक बना हुआ है. सोमवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इन कारकों के आधार पर अक्टूबर में भी इक्विटी बाजार में मजबूत रिकवरी देखी गई. एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी का वैल्यूशन 10-वर्षीय औसत से ऊपर बना हुआ है, जो भारतीय इक्विटी के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ाता है.
डेट मार्केट को लेकर एचएसबीसी फंड हाउस का कहना है कि 2 से 4 वर्ष के कॉरपोरेट बॉन्ड सेगमेंट आकर्षक अवसर पेश कर रहे हैं. वहीं महंगाई को लेकर आउटलुक और ग्रोथ को लेकर अनिश्चितता दिसंबर में 25 बेसिस प्वाइंट रेट कटौती का आधार बन सकते हैं. इक्विटी को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रोथ साइकल नीचे की ओर जा रही है और निचले स्तर पर पहुंच सकती है. इंटरेस्ट रेट, लिक्विडिटी साइकल, क्रूड ऑयल की कीमत में कमी और सामान्य मानसून ऊपर की ओर ग्रोथ को सपोर्ट करते हैं.
इसके अलावा, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, जीएसटी दरों में कटौती और आयकर में राहत से निजी खपत बढ़ने की संभावना है और प्राइवेट कैपिटल निवेश (कैपेक्स) को भी समर्थन मिलेगा. सरकारी निवेश, मैन्युफैक्चरिंग में प्रोत्साहन और रियल एस्टेट सेक्टर की रिकवरी के चलते मीडियम-टर्म निवेश की गति मजबूत बनी रह सकती है. अक्टूबर में भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने बेहतर प्रदर्शन दिखाया, जहां एफआईआई की खरीदारी और घरेलू निवेशक सेंटिमेंट में सुधार के साथ सेंसेक्स और निफ्टी ने 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की.
एनएसई मिडकैप इंडेक्स ने 4.8% की वृद्धि दर्ज की और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 3.2% चढ़ा. सेक्टोरल परफॉर्मेंस को रियल एस्टेट ने लीड किया. जबकि ऑयल एंड गैस, मेटल, बैंक्स और आईटी ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया. जबकि हेल्थकेयर, पावर, एफएमसीजी और ऑटो का प्रदर्शन कमजोर रहा. केंद्रीय बैंक की आगामी मैक्रो फैक्टर्स जैसे नवंबर के सीपीआई आंकड़े, व्यापार घाटा, जीडीपी और जीएसटी संग्रह को लेकर रेट को लेकर नजर बनी रहेगी.
रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई के विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के बावजूद बाजार में लिक्विडिटी कड़ी बनी हुई है. वहीं, निवेशक और मार्केट एनालिस्ट ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) के जरिए लिक्विडिटी बढ़ाने की उम्मीद लगाए हुए हैं.
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