औद्योगिक संबंध संहिता से कर्मचारी होंगे सशक्त, व्यापार में आसानी को मिलेगा बढ़ावा

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 श्रम कानूनों में एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आती है, जिससे अनुपालन सरल होता है और नियोक्ताओं तथा कर्मचारियों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध बढ़ते हैं. यह संहिता स्पष्ट और समान प्रावधानों के माध्यम से सामूहिक सौदेबाजी, विवाद समाधान और नौकरी की सुरक्षा को मजबूत करती है. यह जानकारी सरकार ने रविवार को साझा की. औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिन्हें अधिनियमित किया गया है. यह कर्मचारियों को समान परिभाषाओं और अधिकारों के साथ सशक्त बनाती है, वहीं नियोक्ताओं को परिचालन में अधिक लचीलापन देती है.
कुल मिलाकर, यह औद्योगिक शांति को बढ़ावा देती है, उत्पादकता को बढ़ाती है और एक संतुलित, विकास-उन्मुख कार्य वातावरण का समर्थन करती है. औद्योगिक संबंध संहिता में मौजूदा तीन कानूनों – औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 एवं औद्योगिक सेवायोजन (स्टैंडिंग ऑर्डर) एक्ट 1946 को समाहित किया गया है. इसके लागू होने से नियमों की संख्या 105 से घटकर 51, प्रपत्रों की संख्या 37 से घटकर 18, और रजिस्टरों की संख्या 3 से घटकर शून्य हो गई है, जिससे रोजगार को गति देने के लिए समग्र अनुपालन बोझ कम हो गया है और इससे व्यापार में आसानी को बढ़ावा मिला है.
सरकार के अनुसार, औद्योगिक संबंध संहिता एक संतुलित और प्रगतिशील ढांचा प्रदान करती है, जो श्रमिकों, नियोक्ताओं और अर्थव्यवस्था सभी के लिए समान रूप से लाभकारी है. यह श्रम समर्थक है, जो उचित प्रतिनिधित्व, नौकरी की सुरक्षा और त्वरित विवाद समाधान सुनिश्चित करता है. साथ ही, यह रोजगार समर्थक भी है, क्योंकि यह अनुपालन को सरल बनाता है और लचीली भर्ती को प्रोत्साहित करता है. महिला समर्थक प्रावधानों के माध्यम से समान प्रतिनिधित्व और कार्य लचीलेपन को बढ़ावा देते हुए यह समावेशी भागीदारी को सुनिश्चित करता है. अब तक ट्रेड यूनियनों को औपचारिक मान्यता नहीं थी, लेकिन नए कानून से उन्हें मान्यता प्राप्त करने का स्पष्ट रास्ता मिल गया है.
एक प्रतिष्ठान में 51 प्रतिशत सदस्यता वाली यूनियन को सौदेबाजी यूनियन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसके पास सामूहिक सौदेबाजी और शिकायत निवारण में श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करने का विशिष्ट अधिकार होगा. यदि यह सीमा पूरी नहीं होती है, तो समझौता परिषद का गठन किया जाएगा, जिसमें कम से कम 20 प्रतिशत सदस्यता वाली सभी ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. नई संहिता के तहत अचानक होने वाली हड़तालों को हतोत्साहित करने और औद्योगिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए, हड़ताल की परिभाषा में संशोधन किया गया है.
इस संहिता में सामूहिक आकस्मिक अवकाश को भी शामिल किया गया है, जिसमें ऐसे मामले आते हैं जहां किसी दिन पचास प्रतिशत या उससे अधिक श्रमिकों ने आकस्मिक अवकाश लिया हो. विवादों के त्वरित समाधान, संघर्षों को कम करने और काम के अचानक रुकने से बचने के लिए, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 सभी प्रतिष्ठानों में हड़ताल से पहले 14 दिन का पूर्व नोटिस देना अनिवार्य करती है. संहिता यह भी तय करती है कि 300 या अधिक श्रमिक नियोजित करने वाले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को छंटनी, कार्यमुक्ति, या अपने औद्योगिक प्रतिष्ठान को बंद करने से पहले समुचित सरकारी अनुमति प्राप्त करनी होगी. पहले यह सीमा 100 थी, जिसे अब 300 कर दिया गया है, और राज्यों को इस सीमा को और बढ़ाने का लचीलापन दिया गया है.
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