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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
प्रमुख उद्योग निकाय इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने कहा है कि चीन द्वारा पूंजीगत उपकरणों, महत्वपूर्ण खनिजों और कुशल तकनीकी कर्मियों पर लगाए गए अनौपचारिक व्यापार प्रतिबंध, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम (Electronics Manufacturing Ecosystem) पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVC) में भारत के गहन एकीकरण को बाधित कर सकते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) को लिखे एक पत्र में आईसीईए ने दावा किया कि इस सेक्टर में चीनी सरकार द्वारा योजनाबद्ध और क्रमिक तरीके से तीन विशिष्ट चोकप्वाइंट्स का प्रबंधन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य भारत की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता को कम करना है. पिछले एक दशक में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है, जो दूरदर्शी नीतिगत हस्तक्षेपों, निजी क्षेत्र के निवेश और भारत की ओर जीवीसी के स्थानांतरण से प्रेरित है.
इस वृद्धि में सबसे आगे स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग है, जिसका उत्पादन FY25 में 64 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें निर्यात का योगदान 38% बढ़कर 24.1 अरब डॉलर हो गया है. बढ़ते स्मार्टफोन निर्यात के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स FY25 में इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम के बाद देश के तीसरे सबसे बड़े निर्यात के रूप में उभरा है. चीन उच्च क्षमता वाले उपकरणों और विशिष्ट मशीनरी का प्रमुख वैश्विक स्रोत बना हुआ है, जो तीन दशकों के औद्योगिक क्लस्टरिंग और गहन जीवीसी के एकीकरण का परिणाम है.
आईसीईए ने अपने पत्र में कहा, स्मार्टफोन सहित इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए, इसने पूंजीगत उपकरणों के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भरता पैदा कर दी है. उद्योग निकाय ने आरोप लगाया कि एक साल से भी ज्यादा समय से चीन भारत को भारी-भरकम बोरिंग मशीनों और सौर उपकरणों सहित कई क्षेत्रों में उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहा है और अब पिछले 8 महीनों में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. आईसीईए ने कहा, इन व्यवधानों के कारण परिचालन अक्षमताएँंपैदा हो रही हैं, पैमाने पर उत्पादन प्रभावित हो रहा है और उत्पादन लागत बढ़ रही है, क्योंकि इन उपकरणों का स्थानीय स्तर पर या जापान या कोरिया के सहयोग से उत्पादन करना चीनी आयात की तुलना में 3-4 गुना अधिक महंगा है.
आईसीईए ने अपने पत्र में कहा, हाल ही में, उन्होंने चीनी, ताइवानी और भारतीय कंपनियों में कार्यरत चीनी मूल के पेशेवरों से कहा है कि वे अपने कार्य-स्थल के बीच में ही तुरंत चीन लौट आएं। ऐसे पेशेवरों की संख्या सैकड़ों में है. उद्योग निकाय ने कहा कि वह पूंजीगत उपकरणों, महत्वपूर्ण खनिजों और कुशल तकनीकी कर्मियों पर अनौपचारिक चीनी प्रतिबंधों के प्रभाव को दूर करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा करने हेतु सरकार के साथ एक तत्काल बैठक की मांग कर रहा है.