New Labour Codes India: SBI की मंगलवार को जारी ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, नए लेबर कोड एक छोटे से संक्रमण काल के बाद मध्यम अवधि में बेरोजगारी को लगभग 1.3% तक घटाने में मदद कर सकते हैं. हालांकि, इन कोडों का वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि सुधार कितनी प्रभावी तरह लागू होते हैं, फर्म स्तर पर समायोजन लागत कैसी रहती है और राज्यों में पूरक नियम किस तरह लागू किए जाते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान 60.1% लेबर फ़ोर्स पार्टिसिपेशन रेट और शहरी–ग्रामीण क्षेत्रों में औसत 70.7% कार्यशील आयु आबादी को देखते हुए इन सुधारों से करीब 77 लाख नए रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं.
66 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति दिन बढ़ेगी खपत
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, डॉ. सौम्या कांति घोष ने कहा, लगभग 30 प्रतिशत के सेविंग रेट के साथ नए नियमों के लागू होने से 66 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति दिन खपत बढ़ेगी. इससे 75,000 करोड़ रुपए का उपभोग बढ़ेगा. इसलिए लेबर कोड को उपभोग बढ़ाने में एक अहम योगदानकर्ता माना जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नए लेबर कोड के लागू होने से कर्मचारी और उद्यम दोनों सशक्त बनेंगे और ऐसे वर्कफोर्स का निर्माण होगा, जिससे भारत के लिए एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी आत्मनिर्भर राष्ट्र की राह बनेगी.
भारत में करीब 44 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत
भारत में लगभग 44 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, जिनमें से 31 करोड़ ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं. यदि यह माना जाए कि करीब 20% लोग अनौपचारिक वेतन संरचना से औपचारिक पे-रोल में स्थानांतरित हो जाते हैं, तो लगभग 10 करोड़ लोगों को इसका सीधा लाभ मिल सकता है. हमारा आकलन है कि इसके चलते अगले 2–3 वर्षों में देश की सोशल सिक्योरिटी कवरेज 80 से 85% तक पहुँच सकती है.
भारत में फॉर्मल वर्कर्स की हिस्सेदारी 60.4%
रिपोर्ट के अनुसार, पीएलएफएस डेटा सेट दिखाता है कि वर्तमान में भारत में फॉर्मल वर्कर्स की हिस्सेदारी 60.4% है. हमारा अनुमान है कि नए लेबर कोड लागू होने के बाद यह फॉर्मलाइजेशन रेट करीब 15.1% बढ़ सकता है, जिससे समग्र लेबर मार्केट फॉर्मलाइजेशन बढ़कर लगभग 75.5% तक पहुँच जाएगा.
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