यदि वर्ष के अंत तक 50% आयात शुल्क लागू रहता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर में नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है. इससे रेपो दर घटकर 5.25% पर आ सकती है. यह अनुमान मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में लगाया गया है. HSBC द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के अनुसार, सरकार आर्थिक विकास को गति देने के लिए नए आर्थिक सुधारों के साथ-साथ निर्यातकों के लिए एक विशेष राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकती है.
सबसे निचले स्तर पर आ गई मुद्रास्फीति
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति वर्षों के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है, जिससे आरबीआई को मौद्रिक नीति में ढील देने की अधिक गुंजाइश मिल गई है. सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 1.5% रही, जो जून 2017 के बाद से सबसे कम है, क्योंकि खाद्य कीमतें अपस्फीति में चली गईं. यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों की कीमतों में गिरावट, अनाज के अच्छे उत्पादन और पर्याप्त भंडार वाले अन्न भंडारों के कारण दर्ज की गई है.
खाद्य पदार्थों की कीमतों में देखने को मिली गिरावट
खाद्य पदार्थों की कीमतों में सालाना और मासिक दोनों आधार पर गिरावट देखने को मिली है. अगस्त में भारी बारिश के कारण सब्जियों की कीमतों में आई तेज़ी के बाद, सितंबर में इनकी कीमतों में फिर से नरमी आई. इसके साथ ही, अनाज और दालों की कीमतों में भी मासिक गिरावट दर्ज की गई, जिससे कुल खुदरा मुद्रास्फीति पर दबाव कुछ हद तक कम हुआ. जुलाई से सितंबर की तिमाही के दौरान औसत महंगाई दर 1.7% रही, जो कि RBI के अनुमानित 1.8% से थोड़ा कम है.
सोने की कीमतों में तेज वृद्धि
हालांकि, सोने की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण हेडलाइन सीपीआई ऊंची बनी रही, जो सितंबर में सालाना आधार पर लगभग 47% बढ़ी. केवल सोने ने ही हेडलाइन सीपीआई में करीब 50 आधार अंकों का योगदान दिया. एचएसबीसी ने बताया कि कोर मुद्रास्फीति का उसका पसंदीदा माप तिमाही के दौरान 3.2% पर स्थिर रहा, जिसमें खाद्य, ऊर्जा, आवास और सोना शामिल नहीं है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 1% से नीचे आ सकती है. महीने के पहले दस दिनों में सब्जियों की कीमतों में 3 से 5% तक की गिरावट दर्ज की गई है, जो मुद्रास्फीति में और कमी का संकेत देती है.