नई दिल्ली: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर टिप्पणी के मामले में गिरफ्तार अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट के सिलसिले में प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही अदालत ने महमूदाबाद को कड़ी नसीहत देते हुए कहा कि आपको सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर अली खान के सोशल मीडिया पोस्ट पर शब्दों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल दूसरों को अपमानित करने और उन्हें असहज करने के लिए किया गया. हालांकि, सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन अभी ऐसी टिप्पणी क्यों की गई?
मामले की जांच पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
हरियाणा के डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ मामले की जांच के लिए आईजी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन करें. साथ ही अदालत ने महमूदाबाद को भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर कोई और ऑनलाइन पोस्ट लिखने से मना किया है.
गिरफ्तारी को अली खान ने बताया था गलत
मालूम हो कि ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी के मामले में गिरफ्तारी होने के बाद सोनीपत स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद राहत के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. अली खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. उनकी ओर से मामले पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई गई थी, जिस पर कोर्ट ने केस सुनवाई के लिए जल्द ही सूचीबद्ध करने का भरोसा दिलाया था.
अली खान ने अपनी गिरफ्तारी को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सोमवार को वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया था. सिब्बल ने कहा था कि उन्हें देशभक्ति वाले बयान के लिए गिरफ्तार किया गया है. मालूम हो कि इससे पहले, मंगलवार को प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की दो दिन की रिमांड खत्म होने पर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आजाद सिंह की कोर्ट ने सात दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था.