Bihar Crime: परिवार के लोगों ने जिस मृत महिला का अंतिम संस्कार कर दिया था, वह 11 दिन बाद अचानक घर लौट आई. उसे जिंदा देख परिजनों की आंखें खुली की खुली रह गई. हौरान करने वाला यह मामला बिहार के छपरा जिले के रिविलगंज प्रखंड के भादपा गांव से सामने आया है. इस घटना से न सिर्फ गांव के लोगों को, बल्कि प्रशासन को भी हैरानी में डाल दिया है.
जानें पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार, चौंकाने वाला यह मामला रिविलगंज के मोहब्बत परसा पंचायत स्थित भादपा नया बस्ती का है, जहां की रहने वाले राम स्वरूप राय की पत्नी रमा देवी (45 वर्ष) 17 मई को अचानक घर से लापता हो गई थीं. परिवार के लोगों ने उसकी काफी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. इसी बीच 26 मई को सरयू नदी के थाना घाट के पूर्वी किनारे पर एक महिला का शव बरामद हुआ. शव बुरी तरह सड़-गल चुका था, लेकिन शरीर की बनावट रमा देवी से मेल खाती मिली. इस पर परिजनों ने पुलिस को सूचना दी और संदेह जताया कि यह शव रमा देवी का ही है.
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया और फिर उसे रमा के परिवार वालों को सौंप दिया. पूरे गांव और परिवार के लोगों की उपस्थिति में शव का अंतिम संस्कार किया गया. इसके बाद 11 जून को रमा देवी का श्राद्धकर्म भी सम्पन्न हो गया.
महिला को जिंदा देख खुली रह गई परिजनों की आंखें
परिवार के रामा की मौत को लेकर सदमें थे. इसी बीच 22 जून की सुबह रमा देवी खुद अपने घर लौट आईं. उन्हें दरवाजे पर देख परिवार के लोग की आंखें खुली की खुली रह गई. अंतिम संस्कार के बाद रमा के जिंदा घर लौटने की खबर कुछ ही देर में पूरे गांव में फैल गई और मौके पर दर्जनों ग्रामीण पहुंच गए. सबके दिमाग में एक बात आने लगी कि अखिरकार “जो महिला मर चुकी थी, वह जिंदा कैसे?”
इतने दिन कहां थी रमा?
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक, रमा देवी मानसिक रूप से अर्द्ध विक्षिप्त हैं और बिना किसी को बताए अपने मायके कोलकाता चली गई थीं. वहां कुछ दिन रुकने के बाद वे अपने आप ही वापस घर लौट आईं. इतने समय में परिजनों को उनकी कोई सूचना नहीं मिली और जब नदी किनारे मिला शव उनके जैसे आकार-प्रकार का निकला, तो परिवार के लोगों ने जल्दबाजी में पहचान कर ली और शव का दाह-संस्कार कर दिया.
महिला के परिजनों ने बताया
परिजनों ने बताया कि नदी में मिला शव काफी हद तक सड़ चुका था और पहचानना बेहद मुश्किल था. अब जबकि रमा देवी सुरक्षित लौट आई हैं, घर में खुशी का माहौल है. गनीमत रही कि अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं हुआ था, वरना कानूनी पेंच और बढ़ जाता. यह घटना न सिर्फ एक पहचान की चूक को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करती है कि बिना पर्याप्त जांच के किसी शव की पहचान कर अंतिम संस्कार कर देना कितनी बड़ी भूल साबित हो सकती है.
पुलिस अब इन सवालों के जवाब तलाश रही है कि जिस महिला का अंतिम संस्कार हुआ, आखिरकार वो महिला कौन थी? कैसे उसकी मौत हुई? उसकी हत्या हुई है या फिर कहानी कुछ और ही है? वो कहां की रहने वाली है? उधर, अंतिम संस्कार के बाद घर जिंदा लौटने वाली महिला की लोगों में चर्चा हो रही है.