Bhramari Pranayama Benefits: अगर आप अपने दिमाग और शरीर को एक संतुलन में लाना चाहते हैं, तो प्राणायाम सबसे असरदार तरीका माना जाता है. खासतौर पर भ्रामरी प्राणायाम बहुत फायदेमंद होता है. भ्रामरी प्राणायाम का नाम भ्रामर शब्द से आया है, जिसका मतलब होता है भ्रमर यानि भंवरा. जब हम सांस छोड़ते हैं, तो जो आवाज निकलती है वो भंवरे के भिनभिनाने जैसी लगती है, इसलिए इस प्राणायाम को ‘मधुमक्खी श्वास’ भी कहा जा सकता है. इस दौरान आपके गले, चेहरे और जबड़ों में एक हल्का कंपन सा महसूस होता है, जो काफी सुकून देने वाला होता है. इसका अभ्यास रोजाना करने से मन शांत रहता है और मानसिक संतुलन बेहतर होता है.
दिमाग शांत करने में मदद करता है
आयुष मंत्रालय के मुताबिक, भ्रामरी प्राणायाम (Bhramari Pranayama Benefits) दिमाग शांत करने में मदद करता है. तनाव कम होता है, गुस्सा कंट्रोल में रहता है, और मन की बेचैनी भी धीरे-धीरे दूर होने लगती है. इसके नियमित अभ्यास से दिमाग और नसों को आराम मिलता है, जिससे सोचने-समझने की ताकत भी बढ़ती है.
ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद
जो लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके लिए भ्रामरी प्राणायाम काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. यह अभ्यास दिमाग को ठंडक पहुंचाता है और नसों के तनाव को कम करता है, जिससे ब्लड प्रेशर धीरे-धीरे संतुलित होने लगता है. जब मन शांत होता है तो शरीर बेहतर काम करने लगता है.
माइग्रेन की शिकायत होगी दूर
अगर आपको माइग्रेन की शिकायत रहती है, तो भ्रामरी प्राणायाम इसमें काफी राहत दे सकता है. यह अभ्यास दिमाग की नसों को शांत करता है और सिर में होने वाले तेज दर्द को कम करने में मदद करता है. जब आप मधुमक्खी जैसी आवाज के साथ सांस छोड़ते हैं, तो उसका असर सीधा दिमाग पर होता है और माइग्रेन का दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है. रोजाना कुछ मिनट का अभ्यास आपके सिरदर्द की समस्या को काफी हद तक कंट्रोल में ला सकता है.
ध्यान केंद्रित करने में मददगार
अगर आपका मन पढ़ाई या किसी काम में जल्दी भटक जाता है, तो प्राणायाम का अभ्यास आपके बहुत काम आ सकता है. इसे करने से ध्यान केंद्रित करने की ताकत बढ़ती है. खासतौर पर बच्चों और छात्रों के लिए यह बहुत फायदेमंद है. इससे याद रखने की शक्ति भी बेहतर होती है.
कैसे करें भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले किसी शांति वाली जगह पर आराम से बैठ जाएं. फिर आंखें बंद कर लें और दोनों हाथों की उंगलियों से हल्के से कान और आंखों को ढक लें. अब मुंह बंद रखते हुए नाक से धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें. जब सांस छोड़ें तो हल्की मधुमक्खी की तरह एक भनभनाहट की आवाज करें. ऐसा करने से दिमाग में एक हल्का सा कंपन महसूस होता है, जो मानसिक शांति और ध्यान बढ़ाने में मदद करता है.
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